IIT गुवाहाटी की नई माइक्रोबियल टेक्नोलॉजी गंदे पानी से लेड हटाने में असरदार

गुवाहाटी, 21 नवंबर: इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी गुवाहाटी के रिसर्चर्स ने साइनोबैक्टीरिया का इस्तेमाल करके गंदे पानी से लेड हटाने के लिए एक इको-फ्रेंडली टेक्नोलॉजी बनाई है। यह तरीका बायोरेमेडिएशन-बेस्ड है और पुराने केमिकल-बेस्ड ट्रीटमेंट तरीकों की तुलना में सस्ता और टिकाऊ सॉल्यूशन देता है।

जर्नल ऑफ़ हैज़र्डस मटीरियल्स में छपी इस स्टडी में, साइनोबैक्टीरिया की 50 किस्मों के अलग-अलग हिस्सों की लेड सोखने की क्षमता को टेस्ट किया गया। रिसर्चर्स ने पाया कि इन माइक्रोऑर्गेनिज्म से बनने वाला एक नेचुरल बायोपॉलिमर, एक्सोपॉलीसेकेराइड, 92.5 परसेंट तक लेड हटाने में काबिल था।

रिसर्च टीम के मुताबिक, लेड दुनिया के सबसे ज़हरीले पॉल्यूटेंट में से एक है। यह लगभग 800 मिलियन बच्चों पर असर डालता है, जिनमें से लगभग 275 मिलियन भारत में हैं। लेड इंडस्ट्रियल वेस्ट, खेती और नदी के प्रदूषण, और पुरानी पाइपलाइनों के ज़रिए पानी की जगहों में जाता है, और दशकों तक पानी में रह सकता है, जिससे गंभीर न्यूरोलॉजिकल और शारीरिक विकास संबंधी खतरे हो सकते हैं।

बायोसाइंस और बायोइंजीनियरिंग डिपार्टमेंट के प्रोफेसर देबाशीष दास ने कहा कि इस साइनोबैक्टीरियल तरीके में कम एनर्जी लगती है और इसे बिना एडवांस्ड इंफ्रास्ट्रक्चर के भी लागू किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि शुरुआती कैलकुलेशन के अनुसार, यह तरीका मौजूदा टेक्नोलॉजी की तुलना में इलाज की लागत को लगभग 40-60 प्रतिशत तक कम कर सकता है, जबकि एफिशिएंसी बराबर या उससे ज़्यादा है।