नई दिल्ली, 6 नवंबर: विदेश मंत्री डॉ. सुब्रह्मण्यम जयशंकर ने कहा है कि भारत-जापान के बीच साझेदारी हिंद-प्रशांत क्षेत्र में रणनीतिक स्थिरता को बढ़ाने में योगदान देती है। नई दिल्ली में आठवें भारत-जापान हिंद-प्रशांत मंच को संबोधित करते हुए डॉ. जयशंकर ने कहा कि पिछले कुछ दशकों में दोनों देशों के बीच साझेदारी और मजबूत हुई है और यह पहले से कहीं अधिक महत्वपूर्ण हो गई है। उन्होंने कहा कि भारत-जापान साझेदारी को अपनी क्षमताओं का लाभ उठाने, आपूर्ति श्रृंखलाओं को मज़बूत करने और आर्टिफिशियल इंटेलिजें, सेमीकनडक्टर, महत्वपूर्ण खनिजों, स्वच्छ ऊर्जा और अंतरिक्ष में निवेश पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। विदेश मंत्री ने उल्लेख किया कि दो प्रमुख लोकतंत्रों और समुद्री राष्ट्रों के रूप में, भारत और जापान की हिंद-प्रशांत के प्रति बड़ी ज़िम्मेदारी है और हिंद-प्रशांत महासागर पहल में योगदान को आगे बढ़ाने की क्षमता है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और जापान की प्रधानमंत्री साने ताकाइची की हालिया बातचीत पर ज़ोर देते हुए डॉ. जयशंकर ने कहा कि यह दोनों देशों द्वारा अपनी साझेदारी को दी जाने वाली प्राथमिकता को दर्शाता है। विदेश मंत्री ने कहा कि मलेशिया की राजधानी कुआलालंपुर में हाल ही में आयोजित पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन में जापानी विदेश मंत्री तोशिमित्सु मोटेगी के साथ उनकी बैठक के दौरान, दोनों पक्ष इस बात पर सहमत हुए कि साझेदारी को आगे बढ़ाने के लिए निकट भविष्य में अधिक विस्तृत समीक्षा करना उनके पारस्परिक हित में है।
