रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने देश के समुद्री सुरक्षा ढांचे में एकीकृत आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, ड्रोन और स्‍वचालित प्रतिक्रिया प्रणाली पर बल दिया

नईदिल्ली, 29 सितम्बर : रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने देश के समुद्री सुरक्षा ढांचे में एकीकृत आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, ड्रोन और स्‍वचालित प्रतिक्रिया प्रणाली पर बल दिया। नई दिल्‍ली में आज 42वां भारत तटरक्षक -आईसीजी कमांडर सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए श्री सिंह ने कहा कि साइबर और इलेक्‍ट्रॉनिक युद्ध जैसे खतरों से रक्षा करने के लिए आईसीजी को अपने प्रशिक्षण और उपकरण को निरंतर उन्‍नत करना होगा। श्री सिंह ने कहा कि स्‍वचालित निगरानी नेटवर्क और एआई संचालित प्रणाली त्‍वरित प्रतिक्रिया के लिए समय को कम करने के लिए आवश्‍यक है। ये प्रणालियां हर समय तैया‍री सुनिश्चित करेंगी।

    उन्‍होंने कहा कि पड़ोसी देशों की अस्थिरता अक्‍सर समुद्री क्षेत्र के लिए खतरा पैदा करती है। श्री सिंह ने कहा कि म्यांमा, बांग्लादेश, नेपाल और अन्य क्षेत्रीय देशों के घटनाक्रम विशेषकर बंगाल की खाड़ी की तटीय सुरक्षा को शरणार्थियों के प्रवेश, अवैध प्रवास और अनियमित समुद्री गतिविधियों के जरिए प्रभावित करते हैं। उन्‍होंने कहा कि आईसीजी को न केवल नियमित निगरानी जारी रखने की जरूरत है, बल्कि भू-राजनीतिक जागरूकता और बाहरी घटनाक्रमों के प्रति त्‍वरित प्रतिक्रिया के लिए तैयार रहने की भी जरूरत है।

    श्री सिंह ने कहा कि आज महिला अधिकारी अग्रिम पंक्ति की योद्धा के रूप में सेवा प्रदान कर रही है। उन्‍हें प्रशिक्षित किया जा रहा है और विभिन्‍न क्षेत्र में उनकी तैनाती हो रही है। उन्‍होंने कहा कि यह परिवर्तन समावेशी भागीदारी के प्रति सरकार के दृष्टिकोण को दर्शाता है, जहां महिलाएं नेतृत्‍व और परिचालन क्षमताओं में समान रूप से योगदान दे रही हैं।

    रक्षा मंत्री ने समुद्री सुरक्षा के खतरों से निपटने और आपदा की स्थितियों का प्रबंधन करने में तटरक्षकों की निर्णायक भूमिका की सराहना की। उन्‍होंने कहा कि तटरक्षक बल लगातार प्रतिक्रिया की पहली पंक्ति के रूप में कार्य करता है। उन्‍होंने कहा कि तटरक्षक बल देश के भीतर और बाहरी सुरक्षा सुनिश्चित करने में महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

    तीन दिन का यह सम्‍मेलन कल समाप्‍त होगा। इस सम्‍मेलन ने उभरती समुद्री सरक्षा चुनौतियों और हिन्‍द महासागर क्षेत्र के बढ़ते रणनीतिक महत्‍व के परिदृश्‍य में रणनीतिक, परिचालनगत और प्रशासनिक प्राथमिकताओं पर विचार-विमर्श करने के लिए तटरक्षक बल के वरिष्‍ठ नेतृत्‍व को एक मंच प्रदान किया।