नई दिल्ली, 26 सितंबर: केंद्र सरकार संसदीय स्थायी समिति के वर्तमान एक साल के कार्यकाल को बढ़ाकर दो साल करने पर विचार कर रही है, सूत्रों के अनुसार इसका उद्देश्य बिल, रिपोर्ट और नीतिगत मामलों की अधिक गहन समीक्षा करना और कामकाज में निरंतरता बनाए रखना है। वर्तमान समिति का कार्यकाल 26 सितंबर को समाप्त हो रहा है।
राजनीतिक दृष्टिकोण से भी यह कदम महत्वपूर्ण है। कांग्रेस सांसद शशि थरूर वर्तमान में विदेश मामलों की समिति के अध्यक्ष हैं। यदि कार्यकाल बढ़ाया गया, तो वे पार्टी के मतभेदों के बावजूद अगले दो साल तक इस पद पर बने रह सकते हैं।
संसदीय स्थायी समिति एक स्थायी संस्था है, जिसमें लोकसभा और राज्यसभा के निर्धारित संख्या के सांसद शामिल होते हैं। ये समितियां प्रस्तावित कानूनों की समीक्षा, सरकारी नीतियों का मूल्यांकन और बजट आवंटन की जांच करती हैं। इसके साथ ही, मंत्रालयों को जवाबदेह ठहराने में भी इन समितियों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण होती है।
संसद का सत्र नहीं चलने के दौरान ये समितियां अक्सर ‘मिनी संसद’ के रूप में कार्य करती हैं, जहां सांसद विस्तृत चर्चा के माध्यम से कानून और नीतिगत निगरानी जारी रख सकते हैं।
वर्तमान में ये समितियां प्रतिवर्ष पुनर्गठित होती हैं। हालांकि, विपक्षी खेमे समेत कई सांसदों ने कहा है कि एक साल का कार्यकाल जटिल और विस्तृत चर्चा के लिए पर्याप्त नहीं है। उनका मानना है कि कार्यकाल कम से कम दो साल होना चाहिए। हालांकि समिति के अध्यक्षों में बदलाव की संभावना कम है, नए सदस्यों के कार्यकाल बढ़ने से कार्य की निरंतरता बनी रहेगी और कानून एवं नीतियों पर गहन ध्यान दिया जा सकेगा।
ध्यान देने योग्य है कि इन समितियों के सदस्य संबंधित राजनीतिक दलों की नामांकन प्रक्रिया के आधार पर चुने जाते हैं। इसलिए सरकार का यह निर्णय संसदीय कार्यप्रणाली पर प्रशासनिक और राजनीतिक दोनों ही दृष्टिकोण से बड़ा प्रभाव डाल सकता है।
