सुप्रीम कोर्ट में अचलावस्था जारी, राज्य के 15 विश्वविद्यालयों में कुलपतियों की नियुक्ति पर समाधान नहीं

नई दिल्ली, 27 सितंबर: सुप्रीम कोर्ट के मध्यस्थता के बावजूद पश्चिम बंगाल के 15 विश्वविद्यालयों में कुलपतियों की नियुक्ति का जटिल मामला अभी तक सुलझा नहीं पाया है। इससे पहले राज्य की 36 विश्वविद्यालयों में कुलपतियों की नियुक्ति को लेकर राज्य सरकार और राज्यपाल सी.वी. आनंद बोस के बीच विवाद को सुलझाने के लिए देश के सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश पर पूर्व मुख्य न्यायाधीश उदय उमेश ललित की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय चयन समिति का गठन किया गया था।

समिति ने प्रत्येक विश्वविद्यालय के लिए योग्यता के आधार पर तीन-तीन उम्मीदवारों की सूची तैयार की। इस सूची में से राज्य सरकार ने नौ विश्वविद्यालयों के पैनल को मंजूरी दे दी, जबकि तीन विश्वविद्यालयों के मामले में आपत्ति जताई। वहीं, राज्यपाल ने चार विश्वविद्यालयों के प्रस्तावित पैनल को लेकर असंतोष व्यक्त किया।

शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान राज्य की ओर से वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंहवी ने नौ अनुमोदित विश्वविद्यालयों में कुलपतियों की नियुक्ति की मंजूरी देने का अनुरोध किया। हालांकि, न्यायमूर्ति सूरज कांत और न्यायमूर्ति जयंमल्य बागची की बेंच ने इस प्रस्ताव को मंजूरी नहीं दी। अदालत ने कहा कि समझौता स्थापित करने के लिए सिंहवी संबंधित पक्षों के साथ चर्चा करेंगे। साथ ही अटॉर्नी जनरल को कुलपति के साथ बातचीत करने का निर्देश भी दिया गया।

अदालत ने आगे यह भी निर्देश दिया कि कुलपति नियुक्ति में आपत्ति के कारण स्पष्ट रूप से राज्य सरकार और राज्यपाल द्वारा विस्तृत रिपोर्ट जमा की जानी चाहिए। अगले सुनवाई की तारीख 6 अक्टूबर तय की गई है, जो पोंगल की छुट्टियों के बाद होगी। इस दिन अदालत में कोचबीहार के पंचानन बर्मा विश्वविद्यालय और बारासात के राज्य विश्वविद्यालय के कुलपति नियुक्ति से संबंधित समिति की रिपोर्ट भी प्रस्तुत की गई है।