लद्दाख के लेह में चौथे दिन भी कर्फ्यू, जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक एनएसए में गिरफ्तार

लेह, 27 सितंबर: लद्दाख के हिंसाग्रस्त लेह शहर में लगातार चौथे दिन कर्फ्यू लागू रहा। शनिवार (27 सितंबर, 2025) को भी पुलिस और अर्धसैनिक बलों ने सड़कों पर पैट्रोलिंग और तलाशी अभियान चलाया। इससे पहले, शुक्रवार को जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक को राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (एनएसए) के तहत गिरफ्तार किया गया था, जिसके बाद इलाके में तनाव फैल गया।

शुक्रवार देर रात लेफ्टिनेंट गवर्नर काबिंदर गुप्ता के नेतृत्व वाली प्रशासनिक टीम ने एक बयान जारी कर कहा कि वांगचुक के लगातार उकसावे वाले बयानों, जिनमें नेपाल में हुए आंदोलन और अरब स्प्रिंग का जिक्र किया गया था, के कारण बुधवार को लेह में हिंसा फैल गई। इस हिंसा में चार लोग मारे गए और कई लोग घायल हुए। प्रशासन का दावा है कि “शांतिप्रिय लेह शहर में सामान्यता बहाल करने और कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए” वांगचुक की गिरफ्तारी आवश्यक थी।

एक सरकारी प्रवक्ता ने बताया, “पिछले 24 घंटों में लद्दाख के किसी हिस्से से कोई अशांति की खबर नहीं है। कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए प्रतिबंध जारी हैं।” उन्होंने कहा कि राज्यपाल जल्द ही सुरक्षा स्थिति की समीक्षा के लिए उच्च स्तरीय बैठक बुलाएंगे, और कर्फ्यू में ढील उसी बैठक के बाद दी जाएगी। इसके अलावा, हिंसा में शामिल लोगों को पकड़ने के लिए विभिन्न क्षेत्रों में तलाशी अभियान शुरू किया गया है। एक काउंसिलर सहित कई आरोपी अब भी फरार हैं। हिंसा में अब तक 50 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया गया है। साथ ही, कारगिल और अन्य बड़े शहरों में पांच या अधिक लोगों की सभाओं पर भी प्रतिबंध लगाया गया है।

लद्दाख की सूचना और जनसंपर्क विभाग (DIPR) ने एक बयान में कहा कि वांगचुक बार-बार “राज्य की सुरक्षा को खतरे में डालने वाली गतिविधियों में शामिल हो रहे हैं और शांति एवं कानून-व्यवस्था को बिगाड़ने का प्रयास कर रहे हैं।”

प्रशासन का आरोप है कि उच्च स्तरीय समिति (HPC) की बैठक और पूर्व बातचीत के अवसर के बावजूद वांगचुक ने 10 सितंबर से लेह में अनशन शुरू किया। उनके उकसावे भरे बयान, नेपाल आंदोलन और अरब स्प्रिंग का उल्लेख, भ्रमित करने वाले वीडियो—इन सब कारणों से 24 सितंबर को हिंसक प्रदर्शन फैल गया। सरकारी बयान में कहा गया है कि उस दिन सरकारी संस्थान, भवन और वाहन जलाए गए, पुलिस पर हमला हुआ और इसी हिंसा में चार लोगों की मृत्यु हुई।

प्रशासन ने कहा कि यदि वांगचुक सरकार के साथ बातचीत के बाद अपना अनशन वापस ले लेते, तो इस हिंसा को रोका जा सकता था। “व्यक्तिगत और राजनीतिक महत्वाकांक्षा त्यागकर जनहित में कदम उठाना चाहिए था,” बयान में कहा गया।

सरकार के अनुसार, सटीक जानकारी के आधार पर वांगचुक को राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत गिरफ्तार कर लेह से राजस्थान के जोधपुर जेल भेजने का निर्णय लिया गया।