पाटना, 24 सितंबर:
स्वतंत्रता के बाद पहली बार बिहार में कांग्रेस की विस्तारित कार्यसमिति (CWC) की ऐतिहासिक बैठक का आयोजन किया गया। रविवार सुबह 10 बजे पाटना के सदाक़त आश्रम में शुरू हुई इस बैठक में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी, नेता राहुल गांधी सहित लगभग 170 सदस्य शामिल हुए। यह 1940 के बाद पहली बार है जब कांग्रेस वर्किंग कमिटी की बैठक बिहार में हो रही है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह बैठक आगामी बिहार विधानसभा चुनावों के मद्देनज़र पार्टी की रणनीति तय करने की दिशा में एक बड़ा कदम है। सूत्रों के अनुसार, कांग्रेस 2023 के तेलंगाना चुनावों में मिली सफलता को मॉडल बनाकर बिहार में भी वापसी की योजना बना रही है।
बैठक में चुनाव आयोग द्वारा जारी की गई विशेष मतदाता सूची की समीक्षा और बिहार में “वोट चोरी” के आरोपों पर तीखा संदेश देने की संभावना है। साथ ही, राहुल गांधी की ‘वोटर अधिकार यात्रा’ के लिए उन्हें धन्यवाद भी दिया जाएगा। यह यात्रा 16 दिनों में 1,300 किलोमीटर की दूरी तय कर बिहार के 25 से अधिक जिलों को कवर कर चुकी है।
बैठक में बिहार के अलावा मंहगाई, बेरोजगारी, महिला उत्पीड़न और कूटनीतिक विफलताओं जैसे राष्ट्रीय मुद्दों पर भी चर्चा हो रही है। इसके अलावा कांग्रेस ‘वोट चोरी’ के मुद्दे को ज़िला स्तर पर मीडिया के माध्यम से उठाने की योजना बना रही है और जल्द ही ‘घर-घर अधिकार अभियान’ की शुरुआत की जाएगी।
बिहार कांग्रेस प्रभारी कृष्णा अल्लावरु ने इस बैठक को “दूसरे स्वतंत्रता संग्राम” से तुलना करते हुए कहा कि यह सिर्फ एक राजनीतिक बैठक नहीं, बल्कि एक ऐतिहासिक आंदोलन का हिस्सा है। बिहार प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राजेश राम ने याद दिलाया कि 1921 में स्वतंत्रता सेनानी मौलाना मजहरुल हक़ ने इस सदाक़त आश्रम के लिए 21 एकड़ ज़मीन दान दी थी। यही वह स्थान है जहां महात्मा गांधी, डॉ. राजेंद्र प्रसाद और जवाहरलाल नेहरू ने प्रसिद्ध चंपारण सत्याग्रह की रूपरेखा तैयार की थी।
कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने कहा,
“आज बिहार एक महत्वपूर्ण मोड़ पर खड़ा है—एक ओर आशा, सामाजिक न्याय और विकास की राजनीति, और दूसरी ओर घृणा, हिंसा, बेरोजगारी और संविधान-विरोधी राजनीति। इस परिस्थिति में कांग्रेस की यह बैठक बिहार की जनता के सामने हमारी प्रतिबद्धता को फिर से पुष्ट करने का संदेश देती है।”
टेलंगाना की तर्ज पर कांग्रेस बिहार में भी उसी रणनीति को अपनाना चाहती है। 2023 में तेलंगाना में CWC की बैठक के बाद सोनिया गांधी ने कई चुनावी गारंटी की घोषणा की थी, जिसके बाद कांग्रेस ने भारत राष्ट्र समिति (BRS) को सत्ता से हटाकर रेवंत रेड्डी के नेतृत्व में सरकार बनाई थी।
बिहार में इस समय महागठबंधन सीट बंटवारे को लेकर मंथन कर रहा है। 2020 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के कमजोर प्रदर्शन को महागठबंधन की हार का अहम कारण माना गया था।
सूत्रों के मुताबिक, चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार के बिहार दौरे के बाद अक्टूबर के पहले सप्ताह में चुनाव की तारीखों की घोषणा हो सकती है। 243 सीटों वाली बिहार विधानसभा के लिए चुनाव अक्टूबर-नवंबर में कराए जाने की संभावना है।
इस पृष्ठभूमि में कांग्रेस की यह ऐतिहासिक बैठक केवल बिहार ही नहीं, बल्कि राष्ट्रीय राजनीति में पार्टी की सक्रियता और भविष्य की रणनीति तय करने में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर बन सकती है।
