बिष्णुपुर, 23 सितंबर:
तृणमूल कांग्रेस नेता अभिषेक बनर्जी ने केंद्र सरकार पर जीएसटी दरों में कटौती को चुनावी मजबूरी से প্ররচিত বলে তীব্র আক্রমণ করেছেন। उनका कहना है कि 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को पूर्ण बहुमत नहीं मिलने ও सीटों में भारी गिरावटের কারণেই এই সিদ্ধান্ত নেওয়া হয়েছে।
अभिषेक बनर्जी ने सवाल उठाया, “क्या पिछले 8 सालों में जीएसटी के नाम पर आम लोगों से ज्यादा कर वसूला नहीं गया? बंगाल में एक कहावत है—‘बिल्ली तब तक पेड़ पर नहीं चढ़ती जब तक खतरा न हो।’ भाजपा 60 सीट हार चुकी है, उनकी संख्या 303 से घटकर 240 हो गई है। इसी वजह से जीएसटी दर 27% से घटाकर 18% की गई। अगर और सीटें कम हो जातीं, तो शायद जीएसटी 9% हो जाती। और अगर भाजपा की कोई सीट ही न रहे, तो जीएसटी शायद 0% हो जाएगा।”
उन्होंने सोमवार को दक्षिण 24 परगना के बिष्णुपुर में दुर्गापूजा गाइड मैप और टेलीफोन डायरेक्टरी के उद्घाटन के मौके पर ये बयान दिया। इस दौरान एक विशेष साइबर सेल का उद्घाटन भी किया गया।
अभिषेक बनर्जी ने आरोप लगाया कि भाजपा की केंद्र सरकार ने देश की अर्थव्यवस्था को घुटनों पर ला दिया है। उन्होंने कहा, “राज्यों की किसी भी सिफारिश को केंद्र तवज्जो नहीं देता। समय पर जीएसटी के हिस्से की राशि नहीं दी जाती, खासकर विपक्ष-शासित राज्यों का फंड जानबूझकर रोका जा रहा है। यह भारत की अर्थव्यवस्था को कमजोर करने की एक साजिश है।”
उन्होंने केंद्र सरकार की नोटबंदी नीति को भी जिम्मेदार ठहराते हुए कहा, “बंदोबस्त (नोटबंदी) योजना ने देश की आर्थिक रीढ़ तोड़ दी, और भाजपा आज तक नहीं बता पाई कि इस फैसले से कितने लोगों की जानें गईं। वहीं, ईडी और सीबीआई जैसी स्वतंत्र एजेंसियों का उपयोग करके विपक्षी नेताओं को परेशान किया जा रहा है।”
दूसरी ओर, मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी केंद्र पर तीखा हमला करते हुए कहा कि जीएसटी में कटौती का बोझ राज्यों पर डाल दिया गया है। उनके अनुसार, इस फैसले की वजह से पश्चिम बंगाल को लगभग ₹20,000 करोड़ का राजस्व नुकसान होगा। हालांकि आम लोगों को इसका आंशिक फायदा मिल सकता है।
ममता बनर्जी ने कहा, “मैंने पहले भी मांग की थी कि अतिरिक्त जीएसटी का बोझ केंद्र उठाए, लेकिन अब केंद्र इसे अपनी उपलब्धि के रूप में दिखा रहा है। यह गलत है।” उन्होंने लोगों से अपील की कि वे धार्मिक और भाषायी एकता बनाए रखें और समाज को बाँटने वाली ताकतों से सतर्क रहें।
विशेषज्ञों का मानना है कि जीएसटी में की गई यह कटौती राजनीतिक बहस का विषय बन सकती है, खासकर जब देश आर्थिक असंतुलन और चुनावी तनाव के दौर से गुजर रहा है।
