नई दिल्ली, 15 सितंबर: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने हाल ही में ‘डिफेंस प्रोक्योरमेंट मैनुअल (DPM) 2025’ के मसौदे को मंजूरी दी है, जिसे भारतीय रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता, नवाचार और पारदर्शिता को बढ़ावा देने वाला एक ऐतिहासिक कदम माना जा रहा है। यह नई नीति रक्षा मंत्रालय के राजस्व आधारित खरीद प्रक्रियाओं को तेज और अधिक प्रभावी बनाने के उद्देश्य से तैयार की गई है। मंत्रालय ने जानकारी दी कि यह संशोधन आधुनिक युद्धों की बदलती ज़रूरतों को ध्यान में रखते हुए किया गया है और 2009 के बाद पहली बार इस मैनुअल को व्यापक रूप से अद्यतन किया गया है।
DPM 2025 के अंतर्गत सशस्त्र बलों की खरीद प्रक्रियाओं को सरल बनाया गया है, जिससे निजी उद्योगों, स्टार्टअप्स और MSMEs को अधिक अवसर मिल सकें। इस नीति को वित्त मंत्रालय की खरीद दिशानिर्देशों के साथ भी समन्वय में लाया गया है और मौजूदा वित्त वर्ष के लिए अनुमानित एक लाख करोड़ रुपये की रक्षा खरीद को ध्यान में रखते हुए इसे लागू किया जाएगा। नए प्रारूप में उद्योग हितैषी प्रावधान जोड़े गए हैं जैसे—कार्यशील पूंजी के लिए वित्तीय सहायता, डिलीवरी में देरी पर दंड दर में कटौती, समय पर आपूर्ति के लिए प्रोत्साहन, और विकास चरण में दंडात्मक कार्रवाई को सीमित करना। अधिकतम दंड सीमा को 5% तक सीमित रखा गया है, जो केवल गंभीर विलंब की स्थिति में 10% तक बढ़ाई जा सकती है।
DPM 2025 में एक नया अध्याय ‘स्वदेशीकरण और नवाचार’ पर भी जोड़ा गया है, जिसके तहत निजी कंपनियों, रक्षा सार्वजनिक उपक्रमों, IIT, IISc और अन्य शैक्षणिक संस्थानों के साथ साझेदारी को बढ़ावा दिया जाएगा। साथ ही, लंबे समय के लिए निश्चित खरीद आदेशों की व्यवस्था की गई है ताकि उद्योगों को भविष्य की योजना बनाने में सहूलियत मिल सके। नीतिगत बदलावों में फील्ड स्तर के अधिकारियों को अधिक अधिकार देकर निर्णय प्रक्रिया को विकेंद्रीकृत किया गया है ताकि फाइलों को उच्च स्तर पर भेजे बिना तेज फैसले लिए जा सकें।
इसके अतिरिक्त, टेंडर प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी और प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए सभी निविदाओं को ओपन बिडिंग के तहत लाया गया है। डीपीएसयू से नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट (NOC) लेने की आवश्यकता खत्म कर दी गई है, और सीमित निविदाओं को अब 50 लाख रुपये तक की खरीद के लिए स्वीकृति दी जाएगी। वायुसेना और नौसेना के रखरखाव अनुबंधों में 15% अग्रिम भुगतान की व्यवस्था की गई है।
रक्षा मंत्रालय का कहना है कि DPM 2025 से भारत में रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता को नई गति मिलेगी और निजी उद्योगों, विशेषकर MSME और स्टार्टअप्स को रक्षा उत्पादन में अधिक हिस्सेदारी का मौका मिलेगा। यह नीति न केवल सशस्त्र बलों की तैयारी को सुदृढ़ करेगी, बल्कि उद्योगों और सरकार के बीच सहयोग को भी नई ऊंचाइयों पर ले जाएगी।
