भारत-अमेरिका संबंधों में गर्मजोशी का संकेत: मोदी-ट्रंप ने जताई उम्मीद, जल्द हो सकता है व्यापार समझौता

नई दिल्ली, 10 सितंबर: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को अमेरिका को “घनिष्ठ मित्र” और “स्वाभाविक भागीदार” बताते हुए कहा कि भारत और अमेरिका के बीच चल रही व्यापार वार्ताओं को जल्द ही पूरा करने के लिए दोनों पक्ष काम कर रहे हैं।

इसके साथ ही, उन्होंने अमेरिकी पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के एक सोशल मीडिया पोस्ट को भी साझा किया, जिसमें ट्रंप ने भारत-अमेरिका संबंधों में जमी बर्फ पिघलने की बात कही थी। मोदी ने कहा, “मुझे यकीन है कि हमारी व्यापार वार्ताएं भारत-अमेरिका साझेदारी की असीम संभावनाओं के द्वार खोलेंगी। हमारी टीमें इन वार्ताओं को तेजी से पूरा करने के लिए काम कर रही हैं।”

उन्होंने आगे कहा, “मैं राष्ट्रपति ट्रंप से बात करने का इंतजार कर रहा हूं। हम मिलकर काम करेंगे, ताकि हमारे दोनों देशों के लोगों के लिए एक उज्ज्वल और समृद्ध भविष्य सुनिश्चित किया जा सके।”

बाद में डोनाल्ड ट्रंप ने भी मोदी के पोस्ट को साझा किया। भारतीय समय के अनुसार देर रात ट्रुथ सोशल पर दिए गए एक पोस्ट में, ट्रंप ने कहा कि उन्हें “यकीन” है कि दोनों देशों के बीच व्यापार वार्ताओं में कोई जटिलता नहीं आएगी और वार्ता “सफल परिणाम” पर पहुंचेगी।

ट्रंप ने लिखा, “मुझे यह बताते हुए खुशी हो रही है कि भारत और अमेरिका अपने बीच मौजूद व्यापार बाधाओं को दूर करने के लिए बातचीत जारी रखे हुए हैं। मैं अपने बहुत अच्छे मित्र प्रधानमंत्री मोदी से आने वाले हफ्तों में बात करने का इंतजार कर रहा हूं।”

यह बयान ऐसे समय में आया है जब अमेरिका ने भारतीय उत्पादों पर शुल्क को दोगुना कर 50 प्रतिशत कर दिया है, जिसमें 25 प्रतिशत अतिरिक्त शुल्क भारत द्वारा रूसी कच्चे तेल खरीदने के कारण लगाया गया है। भारत ने इस कदम को “अन्यायपूर्ण, अतार्किक और अस्वीकार्य” बताया है।

हालांकि, ट्रंप ने कहा, “भारत और अमेरिका का एक विशेष संबंध है। कभी-कभी कुछ क्षण आते हैं, लेकिन उनके बारे में चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है।”

भारत ने बार-बार कहा है कि उसकी ऊर्जा खरीद राष्ट्रीय हित और बाजार की गतिशीलता पर आधारित होती है। देश की ऊर्जा सुरक्षा और मूल्य निर्धारण में स्वतंत्रता बनाए रखने को प्राथमिकता दी जाती है।

इस पृष्ठभूमि में, विश्लेषकों का मानना है कि मोदी और ट्रंप के बीच आगामी बातचीत और व्यापार समझौते को लेकर नई उम्मीदें जगी हैं, जिससे दोनों देशों के रणनीतिक और आर्थिक संबंध और भी मजबूत हो सकते हैं।