लखनऊ, 10 सितंबर — नेपाल में हाल ही में हुए हिंसक प्रदर्शनों और राजनीतिक अस्थिरता के मद्देनजर, उत्तर प्रदेश सरकार ने नेपाल से सटे सात जिलों (श्रावस्ती, बलरामपुर, बहराइच, पीलीभीत, लखीमपुर खीरी, सिद्धार्थनगर और महाराजगंज) में 24 घंटे के लिए हाई अलर्ट जारी किया है। सीमावर्ती क्षेत्रों में अतिरिक्त पुलिस बल तैनात कर सुरक्षा व्यवस्था को और मजबूत किया गया है। इसके साथ ही, नेपाल में फंसे भारतीय नागरिकों की सहायता के लिए लखनऊ में पुलिस मुख्यालय के कानून और व्यवस्था शाखा में एक विशेष कंट्रोल रूम स्थापित किया गया है। सरकार ने तीन हेल्पलाइन नंबर (0522-2390257, 0522-2724010, 945401674) और एक व्हाट्सएप नंबर (945401674) भी शुरू किया है, जो 24×7 चालू रहेगा। पुलिस की सोशल मीडिया यूनिट को भी निर्देश दिया गया है कि वे नेपाल से संबंधित किसी भी संवेदनशील ऑनलाइन जानकारी या पोस्ट की तुरंत पहचान करें और जरूरत पड़ने पर तत्काल कार्रवाई करें।
नेपाल में स्थिति लगातार बिगड़ रही है। जेन जेड युवाओं के नेतृत्व में हुआ प्रदर्शन सोमवार को हिंसक हो गया, जिसमें कम से कम 22 लोगों की मौत हो गई। प्रधानमंत्री के.पी. शर्मा ओली, जो भ्रष्टाचार और सोशल मीडिया प्रतिबंधों के कारण जनता के तीव्र आक्रोश का सामना कर रहे थे, अंततः मंगलवार को इस्तीफा देने के लिए मजबूर हुए और देश का नियंत्रण सेना को सौंप दिया। रात 10 बजे से सेना ने देश भर में सुरक्षा की जिम्मेदारी संभाल ली है और काठमांडू, ललितपुर, भक्तपुर सहित कई शहरों में प्रतिबंध लगा दिए हैं। सेना ने एक बयान में कहा कि कुछ समूह इस गंभीर स्थिति का फायदा उठाकर आम लोगों पर हमला कर रहे हैं और सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचा रहे हैं।
इस बीच, भारतीय खुफिया एजेंसियां स्थिति पर करीब से नजर रख रही हैं, ताकि बांग्लादेश में पहले देखे गए ‘भारत-विरोधी’ भावना का नेपाल में भी प्रसार न हो। खुफिया सूत्रों ने बताया है कि छात्र संगठनों, नागरिक समाज और राजनीतिक दलों की गतिविधियों पर नजर रखी जा रही है, जो इस अस्थिरता का उपयोग भारत की आंतरिक स्थिरता को बिगाड़ने के लिए कर सकते हैं। भारतीय विदेश मंत्रालय ने नेपाल में रहने वाले भारतीयों को सावधानी बरतने और स्थानीय निर्देशों का पालन करने का आग्रह किया है।
दूसरी ओर, नेपाल के त्रिभुवन अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे के मंगलवार दोपहर 1 बजे के बाद बंद हो जाने से लगभग 700 भारतीय पर्यटक वहां फंस गए हैं। कई निर्धारित उड़ानों के रद्द होने से यह स्थिति उत्पन्न हुई है। फंसे हुए लोगों में ईशा फाउंडेशन के 130 तीर्थयात्री भी शामिल हैं, जो कैलाश मानसरोवर की यात्रा पर गए थे। बेंगलुरु की एक यात्री रजनी मस्की ने बताया, “हम एक बंद कमरे में कैद की तरह हैं। न खाना है, न पानी, और एक ही चार्जिंग पॉइंट पर सभी लाइन लगा रहे हैं। कुछ लोग रो रहे हैं, कई लोग बीमार पड़ रहे हैं।” वहीं, मुंबई के मयूर पाटिल ने बताया, “हम पशुपतिनाथ के दर्शन के लिए आए थे। अब दूतावास कह रहा है कि जहां हैं, वहीं सुरक्षित रहें और अगले निर्देश का इंतजार करें।” हवाई अड्डे के सुरक्षाकर्मियों और एयरलाइन स्टाफ को भी तेजी से इलाका छोड़ने के लिए कहा गया है, जिससे पूरे हवाई अड्डे पर अव्यवस्था फैल गई है।
स्थिति लगातार चिंताजनक होती जा रही है। ओली के इस्तीफे के बाद भी प्रदर्शन नहीं रुके हैं। सेना का सख्त रुख और जारी जन-आक्रोश एक चरम अनिश्चितता की ओर इशारा कर रहा है। भारतीय प्रशासन और राजनयिक समुदाय नेपाल की इस अस्थिरता पर बारीकी से नजर रख रहे हैं, ताकि सीमा या देश के भीतर इसका कोई नकारात्मक प्रभाव न पड़े।
