बीजिंग, 4 सितंबर: रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने चीन के चार दिवसीय दौरे के दौरान एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि आज की दुनिया में कई ताकतवर अर्थव्यवस्थाएं उभरी हैं, जिनकी अपनी-अपनी राजनीतिक व्यवस्थाएं और कानून हैं। इसी संदर्भ में, उन्होंने अंतरराष्ट्रीय सहयोग में “सही भाषा के उपयोग” की अपील की।
संयुक्त राज्य अमेरिका की ओर परोक्ष रूप से इशारा करते हुए पुतिन ने कहा, “भारत जैसे देश में 1.5 अरब लोग हैं, चीन भी एक मजबूत अर्थव्यवस्था है, लेकिन उनकी अपनी राजनीतिक व्यवस्थाएं और कानून होते हैं।” उन्होंने आगे कहा, “जब कोई कहता है कि वह आपको ‘सजा’ देगा, तो यह सोचने वाली बात है — ये बड़े देशों के नेता जो औपनिवेशिक शोषण और संप्रभुता के आघातों से गुजरे हैं, यदि वे कमजोरी दिखाते हैं तो उनका राजनीतिक करियर समाप्त हो जाएगा।”
पुतिन ने कहा, “जैसे औपनिवेशिक युग समाप्त हो गया है, वैसे ही आज के युग में उसी भाषा में बात नहीं की जा सकती। साझेदारों के साथ सहयोग की भावना में ही बातचीत होनी चाहिए।”
उन्होंने “एककेन्द्रित दुनिया” के खिलाफ अपनी राय देते हुए कहा कि अब समय आ गया है कि एक “बहु-केंद्रित” विश्व का निर्माण हो, जहां कोई ‘हेजेमन’ न हो और हर देश अंतरराष्ट्रीय मंच पर समान अधिकारों के साथ भाग ले।
बीआरआईसीएस और शंघाई सहयोग संगठन (SCO) का उल्लेख करते हुए पुतिन ने कहा, “इन संगठनों में कोई भी वर्चस्व की बात नहीं करता। यहाँ सभी समान हैं। यहां तक कि चीन, भारत और हमारा देश भी अब दुनिया की शीर्ष चार अर्थव्यवस्थाओं में से एक हैं।”
पुतिन के इस बयान को कई लोग पश्चिमी प्रतिबंधों और अमेरिकी टैरिफ नीतियों के प्रति परोक्ष प्रतिक्रिया के रूप में देख रहे हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि “सिर्फ आर्थिक शक्ति होने से कोई सुरक्षा या राजनीति में वर्चस्व स्थापित नहीं कर सकता — यह धारणा स्वीकार्य नहीं है।”
ज्ञात हो कि पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने भारत से आयातित सामानों पर 25 प्रतिशत टैरिफ लगाया था और रूसी अनसुधारित तेल के आयात पर भी अतिरिक्त 25 प्रतिशत शुल्क लगाया गया है।
