मन की बात: प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने कहा कि आप्रेशन सिंदूर ने दुनिया भर में आतंकवाद से लड़ाई में नए उत्‍साह का संचार किया 

प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने आज कहा कि आप्रेशन सिंदूर ने दुनिया भर में आतंकवाद से लड़ाई में नए उत्‍साह का संचार किया है। आकाशवाणी से मन की बात कार्यक्रम में राष्‍ट्र को संबोधित करते हुए श्री मोदी ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान सशस्‍त्र बलों के साहस की प्रशंसा की। 

उन्‍होंने उस सटीकता की भी सराहना की जिससे सेना ने सीमापार आतंकियों के ठिकानों को नष्‍ट किया। उन्‍होंने कहा कि पूरा देश आज आतंकवाद से लड़ाई में एकजुट और प्रतिबद्ध है।

प्रधानमंत्री ने इस बात पर बल दिया कि आपरेशन सिंदूर केवल सैन्‍य मिशन नहीं हैं बल्कि राष्‍ट्र का संकल्‍प और साहस है। उन्‍होंने कहा कि इसने पूरे देश में राष्‍ट्र भक्ति की भावना भरी और देश को तिरंगे की भावना से सराबोर कर दिया। 

श्री मोदी ने कहा कि देश के अनेक शहरों, छोटे कस्‍बों और गांवों में तिरंगा यात्राएं आयोजित की गई। देश के सशस्‍त्र बलों के सम्‍मान में तिरंगा लहराते हुए हजारों लोग इनमें शामिल हुए। कई शहरों में नागरिक सुरक्षा स्‍वयं सेवकों के रूप में बड़ी संख्‍या में युवा एकत्रित हुए। उन्‍होंने कहा कि सोशल मीडिया पर कविताएं लिखी गई और बच्‍चों ने पेंटिंग बनाई जिनमें कई महान संदेश दिए गए। 

प्रधानमंत्री ने हाल ही में बीकानेर यात्रा को स्‍मरण किया जहां बच्‍चों ने उन्‍हें ऐसी ही पेंटिंग उपहार में दी। प्रधानमंत्री ने इस रोचक तथ्‍य का भी जिक्र किया कि आपरेशन की अवधि के दौरान जन्‍मे बच्‍चों का नाम बिहार के कटिहार, उत्‍तर प्रदेश के कुशीनगर और कई अन्‍य शहरों में सिंदूर रखा गया। 

प्रधानमंत्री ने इस बात पर बल दिया कि भारतीय सैनिकों ने भारत में बने हथियारों, उपकरणों और प्रौद्योगिकी के साथ अदम्‍य साहस दिखाते हुए आतंकी ठिकाने नष्‍ट किए। उन्‍होंने कहा कि इस दौरान आत्‍मनिर्भर भारत का संकल्‍प भी दोहराया गया। 

श्री मोदी ने इस विजय का श्रेय इंजीनियरों और तकनीकी विशेषज्ञों की कड़ी मेहनत को दिया। उन्‍होंने कहा कि इस अभियान के बाद देशभर में वोकल फॉर लोकल के प्रति नया उत्‍साह देखा जा रहा है। 

प्रधानमंत्री ने इस बात पर प्रसन्‍नता व्‍यक्‍त की कि माता-पिता ने अपने बच्‍चों के लिए केवल भारत में बने खिलौने ही खरीदने का संकल्‍प लिया है। कुछ परिवारों ने तो देश में ही छुट्टियां बिताने की प्रतिज्ञा की है।

अनेक युवाओं ने भारत में ही विवाह करने का संकल्‍प लिया है और ऐसे अवसरों पर भारतीय शिल्‍पकारों के बनाए गए उपहारों का ही आदान-प्रदान किया। 

श्री मोदी ने कहा कि यह जनभागीदारी ही भारत की वास्‍तविक शक्ति है। उन्‍होंने प्रत्‍येक व्‍यक्ति से देश में बने उत्‍पादों को प्राथमिकता देने का आग्रह किया। प्रधानमंत्री ने कहा कि यह केवल आर्थिक स्‍वावलंबन की बात ही नहीं हैं बल्कि राष्‍ट्र निर्माण में भागीदारी भी है। 

मन की बात कार्यक्रम में प्रधानमंत्री ने यह भी बताया कि पहली बार गढ़चिरौली के काटेझरी गांव में बस पहुंची। लोगों ने ढोल नगाड़े बजाकर इस बस का स्‍वागत किया। पहली बार गांव में बस को देखकर लोगों की खुशी का ठिकाना न था। श्री मोदी ने कहा कि गांव में पक्‍की सड़क थी लेकिन इससे पहले यहां कभी बस नहीं चल पाई थी क्‍योंकि यह गांव नक्‍सली हिंसा से ग्रस्‍त था। 

प्रधानमंत्री ने इस बात पर संतोष व्‍यक्‍त किया कि अब आसपास के पूरे क्षेत्र में लोग इस परिवर्तन को महसूस कर रहे है और स्थिति तेजी से सामान्‍य हो रही है। प्रधानमंत्री ने कहा कि नक्‍सलवाद से सामूहिक लड़ाई में बुनियादी सुविधाएं ऐसे क्षेत्रों तक  भी पहुंचनी शुरू हो गई है। 

प्रधानमंत्री ने कहा कि छत्‍तीसगढ़ में नक्‍सलग्रस्‍त क्षेत्रों के बच्‍चों में विज्ञान का जुनून है। यहां के बच्‍चे खेलों में भी उत्‍कृष्‍ट प्रदर्शन कर रहे हैं। श्री मोदी ने कहा कि इस तरह के प्रयासों से इन क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के साहस का पता चलता है। उन्‍होंने कहा कि लोगों ने चुनौतियों के बीच अपने जीवन को बेहतर बनाने की राह चुनी है। 

प्रधानमंत्री ने प्रसन्‍नता व्‍यक्‍त करते हुए कहा कि दंतेवाड़ा जिले में कक्षा दस और 12 की परीक्षा के परिणाम उत्‍कृष्‍ट रहे हैं। छत्‍तीसगढ़ में दसवीं कक्षा के परिणाम में दंतेवाड़ा शीर्ष पर रहा और 12वीं कक्षा के परिणाम में छठा स्‍थान हासिल किया। 

श्री मोदी ने कहा कि जिस दंतेवाड़ा में कभी माओवाद चरम पर था वहां आज शिक्षा का परचम लहरा रहा है जो हम सबके लिए गर्व की बात है। 

प्रधानमंत्री ने कहा कि केवल पांच वर्ष में गुजरात के गिर में शेरों की संख्‍या बढ़कर छह सौ 74 से आठ सौ 91 हो गई हैं। उन्‍होंने कहा कि गणना के बाद शेरों की संख्‍या में यह वृद्धि उत्‍साहजनक है। उन्‍होंने कहा कि 35 हजार वर्ग किलोमीटर क्षेत्र के 11 जिलों में शेरों की गणना की गई। इसके लिए गठित टीमों ने इन क्षेत्रों में 24 घंटे निगरानी की।

पूरे अभियान के दौरान सत्‍यापन और उसकी  पुष्टि के लिए पुन: सत्‍यापन किया गया। इस प्रकार शेरों की गिनती का कार्य पूरी बारीकी से संपन्‍न हुआ। श्री मोदी ने कहा कि एशियाई शेरों की संख्‍या में यह वृद्धि दिखाती है कि जब समाज में स्‍वामित्‍व का भाव मजबूत होता है तो उसके शानदार परिणाम आते हैं। 

प्रधानमंत्री ने कहा कि इस दौरान गुजरात पहला राज्‍य बना जहां बड़े पैमाने पर वन अधिकारियों के पदों पर महिलाओं की तैनाती की गई। उन्‍होंने वन्‍य  जीव संरक्षण के प्रति जागरूक और सतर्क रहने की आवश्‍यकता पर बल दिया। 

हाल ही में आयोजित राइजिंग नॉर्थ-ईस्‍ट समिट के बारे में प्रधानमंत्री ने कहा कि पूर्वोत्‍तर भारत असाधारण है। उन्‍होंने स‍िक्किम की परंपरा, बुनाई की कला और आज के फैशन के सुंदर संगम क्राफ्टिड फाइबर का जिक्र किया। 

इसकी शुरूआत डॉ. चेवांग नोरबू भूटिया ने की। श्री भूटिया पशु चिकित्‍सक हैं और सिक्किम की संस्‍कृति के सच्‍चे दूत हैं। 

उन्‍होंने पारंपरिक बुनाई कला और आधुनिक फैशन को मिलाकर सामाजिक उद्यम का रूप दिया। अब वे स्‍थानीय लोगों को कौशल प्रशिक्षण देकर  आत्‍मनिर्भर बना रहे हैं। क्राफ्टिड फाइबर के शॉल, स्‍टॉल, दस्‍ताने और जुराबें स्‍थानीय हैंडलूम से बनाई जा रही हैं। 

इन्‍हें बनाने के लिए सिक्किम के खरगोश और भेड़ से प्राप्‍त ऊन का उपयोग किया जाता है। इन उत्‍पादों के रंग पूरी तरह प्राकृतिक होते है और उनमें कोई रसायन नहीं मिलाया जाता। प्रधानमंत्री ने स‍िक्किम की पारंपरिक बुनाई और संस्‍कृति को नई पहचान देने वाले डॉ. भूटिया की सराहना की। 

श्री मोदी ने मन की बात कार्यक्रम में उत्‍तराखंड के हल्‍द्वानी के जीवन जोशी का भी जिक्र किया। वे 65 वर्ष के हैं। बचपन में पोलियो ने उनके पैरों की  ताकत छीन ली थी, लेकिन उनका हौसला नहीं छीन सका। 

जीवन जोशी की कल्‍पना की उड़ान ने अनूठी कला बगेट को जन्‍म दिया। इसमें जीवन जोशी चीड़ के पेड़ों से गिरने वाली सूखी छाल से सुंदर कलाकृतियां बनाते हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि जीवन जोशी जैसे कलाकार हमें याद दिलाते हैं कि परिस्थितियों चाहे जैसी भी हों लेकिन इरादा मजबूत हो तो कुछ भी नामुमकिन नहीं। 

प्रधानमंत्री ने कहा कि आज तेलंगाना के संगारेड्डी जिले की महिलाएं ड्रोन की मदद से 50 एकड़ भूमि में दवा का छिड़काव कर रही हैं।  अब ये महिलाएं ड्रोन ऑपरेटर की बजाय स्‍काई वारियर के नाम से प्रसिद्ध हैं। 

अंतरराष्‍ट्रीय योग दिवस 21 जून को मनाया जाएगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि यह दिवस हमें दैनिक जीवन में येाग को समाहित करने की याद दिलाता है। उन्‍होंने कहा कि इस वर्ष भी योग दिवस के बारे में दुनियाभर में लोगों का जोश और उत्‍साह नजर आ रहा है।

इस संबंध में अलग-अलग संस्‍थान अपनी तैयारियां साझा कर रहे हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि इन वर्षों के दौरान लोगों ने योग चेन और योग रिंग बनाई। ऐसी बहुत सी तस्‍वीरें हैं जहां एक साथ चार पीढ़ी मिलकर योग कर रही हैं। अनेक लोगों ने अपने शहर के विशेष स्‍थानों पर योगासन किए। श्री मोदी ने लोगों से इस बार भी योग दिवस को रोचक ढ़ंग से मनाने का आग्रह किया। 

प्रधानमंत्री ने कहा कि इस वर्ष वे विशाखापत्तनम में योग दिवस कार्यक्रम में भाग लेंगे। उन्होंने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि इस बार भी युवा भारतीय विरासत से जुड़े प्रसिद्ध स्थानों पर योग करेंगे। कई युवाओं ने नए रिकार्ड बनाने और योग श्रृंखला का हिस्सा बनने का संकल्प लिया है। श्री मोदी ने कॉरपोरेट जगत के प्रयासों की भी सराहना की। 

कुछ संस्थानों ने अपने कार्यालयों में योगाभ्यास के लिए   स्थान निर्धारित किया है।  कुछ स्टार्ट अप्स ने कार्यालय योग घंटे तय किये हैं। ऐसे लोग भी हैं जो गांवों में जाकर योग सिखाते हैं। प्रधानमंत्री ने स्वास्थ्य और फिटनेस के बारे में इस जागरूकता पर प्रसन्नता व्यक्त की। 

आयुर्वेद के विषय में प्रधानमंत्री ने बताया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक डॉ. टेड्रोस घेब्रेयेसस की उपस्थिति में कल एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये गए। 

इस समझौते के साथ ही अंतरराष्ट्रीय स्वास्थ्य हस्तक्षेप वर्गीकरण के अंतर्गत एक समर्पित परंपरागत चिकित्सा पद्धति पर काम शुरू कर दिया गया है। इस पहल से आयुष को सपूर्ण विश्व में वैज्ञानिक तरीके से अधिकतम लोगों तक पहुंचाने में मदद मिलेगी। 

प्रधानमंत्री ने कुछ स्कूलों में लगाए जा रहे शुगर बोर्ड का भी उल्लेख किया। केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड -सीबीएसई की इस अनोखी पहल का उद्देश्य बच्चों को उनके शुगर इनटेक के प्रति जागृत करना है। 

श्री मोदी ने इस अनूठे प्रयास की सराहना करते हुए कहा कि बच्चों में स्वस्थ जीवनशैली की आदतें बनाने में यह काफी मददगार साबित होगा। उन्होंने कहा कि फिट इंडिया ही मजबूत भारत की नींव है।

प्रधानमंत्री ने स्वच्छता का उल्लेख किया और भारत तिब्बत सीमा पुलिस दल के सदस्यों का एक उदाहरण दिया। यह दल विश्व की सबसे कठिन चोटी माउंट मकालू पर चढ़ाई के लिए गया था। 

इस दल ने अपने लक्ष्य के साथ स्वच्छता का मिशन भी जोड़ दिया। उन्होंने चोटी के निकट पड़े कचरे को हटाने का बीड़ा उठाया। श्री मोदी ने बताया कि इस दल के सदस्य 150 किलोग्राम से अधिक नॉन-बायो-डिग्रेडेबल कचरा नीचे ले कर आए। 

प्रधानमंत्री ने मन की बात की इस कड़ी में पेपर वेस्ट और रिसाइक्लिंग का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि देश के लैंडफिल कचरे का लगभग एक-चौथाई हिस्सा कागज से जुड़ा होता है। 

उन्होंने जोर देकर कहा कि हर व्यक्ति को पेपर रिसाइक्लिंग के बारे में सोचना चाहिए। श्री मोदी ने कहा कि बहुत से भारतीय स्टार्ट अप्स इस क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य कर रहे हैं। विशाखापत्तनम और गुरुग्राम जैसे शहरों में कई स्टार्टअप्स पेपर रिसाइक्लिंग की नवीन पद्धतियां अपना रहे हैं। 

कुछ स्टार्ट अप्स रिसाइक्ल किये गए पेपर से पैकेजिंग बोर्ड बना रहे हैं जबकि कुछ स्टार्ट अप्स डिजिटल तरीकों से समाचार पत्रों की रिसाइक्लिंग को आसान बना रहे हैं। जालना जैसे शहरों में कुछ स्टार्ट अप्स शत-प्रतिशत रिसाइक्लड सामग्री से पैकेजिंग रोल्स और पेपर कोर बना रहे हैं। 

प्रधानमंत्री ने बताया कि एक टन पेपर की रिसाइक्लिंग से 17 पेड़ कटने से बचते हैं और हजारों लीटर पानी की बचत होती है। उन्होंने देशवासियों से आग्रह किया कि वे घरों और कार्यालयों में पेपर को अलग करके रिसाइक्लिंग के काम में योगदान करें। 

प्रधानमंत्री ने कहा कि देश में खेलो इंडिया गेम्स बहुत सफल रहे। बिहार के पांच शहरों ने खेलो इंडिया गेम्स की मेजबानी की थी। श्री मोदी ने बताया कि देशभर से पांच हजार से ज्यादा एथलीट बिहार पहुंचे थे। 

इन एथलीट्स ने बिहार की खेल भावना और वहां के लोगों से मिली आत्मीयता की बहुत तारीफ की है। प्रधानमंत्री ने सभी पदक विजेताओं विशेषकर शीर्ष तीन विजेताओं – महाराष्ट्र, हरियाणा और राजस्थान को बधाई दी। उन्होंने बताया कि इस बात खेलो इंडिया गेम्स में कुल 26 रिकार्ड बने। 

प्रधानमंत्री ने भारोत्तोलन स्पर्धाओं में महाराष्ट्र की अस्मिता धोने, ओडिशा के हर्षवर्धन साहू और उत्तर प्रदेश के तुषार चौधरी के शानदार प्रदर्शन की सराहना की।  

महाराष्ट्र के साईंराज परदेसी ने तीन रिकार्ड बनाए। एथलेटिक्स में उत्तर प्रदेश के कादिर खान और शेख ज़ीशान और राजस्थान के हंसराज ने शानदार प्रदर्शन किया। श्री मोदी ने कहा कि इस बार बिहार ने छत्तीस पदक जीते। उन्होंने कहा कि ऐसी स्पर्धाओं से भारतीय खेलों का भविष्य और संवरेगा। 

20 मई को विश्व मधुमक्खी दिवस बनाया गया था। प्रधानमंत्री ने कहा कि यह दिन स्वास्थ्य, स्वरोजगार और आत्मनिर्भऱता का भी उदाहरण है। 

श्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि पिछले 11 वर्षों में देश में मधुमक्खी पालन के क्षेत्र में एक मीठी क्रांति आई है। लगभग एक दशक पहले देश में लगभग 70 से 75 हजार मिट्रिक टन शहद का वार्षिक उत्पादन होता था। श्री मोदी ने प्रसन्नता व्यक्त की कि आज यह उत्पादन बढ़कर सवा लाख मिट्रिक टन हो गया है। शहद उत्पादन में यह लगभग 60 प्रतिशत की वृद्धि है। 

शहद के उत्पादन और निर्यात के मामले में भारत विश्व के अग्रणी देशों में शामिल हो चुका है। श्री मोदी ने बताया कि इसमें राष्ट्रीय मधुमक्खी पालन और शहद मिशन ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इसके तहत मधुमक्खी पालन से जुड़े हजारों किसानों को प्रशिक्षण और उपकरण प्रदान किये गए और बाजार तक उनकी सीधी पहुंच सुनिश्चित की गई।

प्रधानमंत्री ने छत्तीसगढ़ के कोरीया जिले का उदारहण दिया। यहां जनजातीय किसानों ने सोन हनी नाम से शुद्ध जैविक शहद ब्रांड तैयार किया है। जीईएम सहित कई ऑनलाइन पोर्टल पर ये शहद बेचा जा रहा है। श्री मोदी ने कहा कि गांव की कड़ी मेहनत अब ग्लोबल हो रही है। 

उन्होंने यह भी बताया कि उत्तर प्रदेश, गुजरात, जम्मू-कश्मीर, पश्चिम बंगाल और अरूणाचल प्रदेश में हजारों महिलाएं और युवा शहद उद्यमी बन चुके हैं। उन्होंने बताया कि कुछ स्टार्ट अप अब शहद की गुणवत्ता को आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस और डिजिटल प्रौद्योगिकी के जरिये प्रमाणित कर रहे हैं। 

उन्होंने आग्रह किया कि लोगों को इन शहद उद्यमियों द्वारा बनाए गए शहद को आजमाना चाहिए। श्री मोदी ने श्रोताओं से कहा कि वे स्थानीय किसानों और महिला उद्यमियों से शहद खरीदें। 

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि मधुमक्खियों का संरक्षण पर्यावरण के साथ-साथ देश की कृषि और भावी पीढ़ियों का संरक्षण है। उन्होंने बी-फ्रेंड्स यानि बी-मित्र नाम की एक टीम बनाने वाले पुणे के अमित की जिक्र किया। 

ये बी-मित्र मधुमक्खियों के छत्तों को एक जगह से दूसरी जगह सुरक्षित तरीके से ले जाते हैं ताकि लोगों को खतरा ना हो और मधुमक्खियां भी जीवित रहें।