वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज कहा कि बाजार नियमन और स्वतंत्रता के बीच एक सही संतुलन की आवश्यकता है विशेषकर तब जब बढ़ती भू-राजनीतिक और पर्यावरण संबंधी चुनौतियों के बीच भारत घरेलू विकास पर अधिक निर्भर हो रहा है।
नई दिल्ली में भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग -सीसीआई के 16वें वार्षिक दिवस को संबोधित करते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि हाल के वर्षों में विश्व कई व्यापक व्यवधानों का साक्षी बना है। इस कारण मजबूत, उत्तरदायी और दूरदर्शी संस्थाओं की आवश्यकता उत्पन्न हुई। उन्होंने कहा कि परिसंपत्ति मौद्रिकरण, विनिवेश और डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे जैसे भारत में जारी ढांचागत सुधार संबंधी सभी प्रयास बाजार की संभावनाओं को खोलने और प्रतिस्पर्धा को बढ़ाने की दिशा में हुए हैं।
सीसीआई की भूमिका का उल्लेख करते हुए श्रीमती सीतारमण ने कहा कि आयोग ने बाजार मे प्रतिस्पर्धा को बनाए रखने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इससे एक गतिशील भारतीय अर्थव्यवस्था सुनिश्चित हुई है। उन्होंने कहा कि भारत 2047 तक विकसित भारत बनने का आकांक्षी है। ऐसे में नियामक चौकसी और विकास परक मनोदशा एक लचीले, न्यायसंगत और नवाचार-संचालित आर्थिक ढांचे का निर्माण करने में महत्वपूर्ण साबित होंगे।
आकाशवाणी से बातचीत में सीसीआई के अध्यक्ष रवनीत कौर ने कहा कि स्वतंत्र और निष्पक्ष बाजार सुनिश्चित करने के 16 वर्षों बाद आयोग अब नवीनतम घटनाक्रमों के साथ गति बनाए रखने पर ध्यान केंद्रित कर रहा है। यह समय के साथ अनुकूलन और विकास जारी रखने पर भी ध्यान दे रहा है।
