अगरतला, 23 अप्रैल: त्रिपुरा प्रदेश महिला कांग्रेस ने त्रिपुरा राज्य में महिला सुरक्षा की अत्यधिक गिरावट और महिलाओं के साथ बलात्कार और अत्याचार की लगातार घटनाओं के विरोध में पुलिस महानिरीक्षक (डीजीपी) को एक प्रतिनिधिमंडल सौंपा है। पार्टी ने राज्य भर में महिलाओं के खिलाफ हो रहे क्रूर अपराधों पर कड़ा रोष व्यक्त किया और राज्य सरकार के खिलाफ आवाज उठाई।
प्रतिनिधिमंडल में शामिल महिला कांग्रेस नेताओं ने आरोप लगाया कि पिछले सात वर्षों से राज्य में भाजपा सरकार सत्ता में है, लेकिन उन्होंने लोगों के कल्याण के लिए कोई रचनात्मक कार्य नहीं किया है। बल्कि, प्रशासनिक विफलता और कार्यकारी अकुशलता के परिणामस्वरूप, त्रिपुरा ने आज देश में ‘सबसे खराब शासित राज्यों’ में से एक का खिताब अर्जित कर लिया है।
उनका कहना है कि मुख्यमंत्री चाहे जितना भी सुशासन की बात करें, हकीकत इसके बिल्कुल उलट है। राज्य में महिला सुरक्षा ध्वस्त हो गई है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री और गृह मंत्री ने स्वयं विधानसभा में स्वीकार किया है कि वित्तीय वर्ष 2023-24 में राज्य में महिलाओं के साथ बलात्कार और सामूहिक बलात्कार की 144 घटनाएं तथा 31 हत्याएं हुईं।
प्रतिनिधिमंडल ने यह भी कहा कि “बेटी पढ़ाओ, बेटी बचाओ” का नारा और “लक्ष्मी दीदी” जैसी परियोजनाएं अब त्रिपुरा में उपहास की वस्तु मात्र बनकर रह गई हैं। महिलाओं के खिलाफ हिंसा की घटनाएं दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही हैं। कानून-व्यवस्था की स्थिति पूरी तरह ध्वस्त हो चुकी है और इसका मूल कारण समूची पुलिस और प्रशासनिक व्यवस्था का राजनीतिकरण है।
संयोग से, यह आरोप लगाया गया है कि 25 अप्रैल को राज्य में कई जघन्य अपराध हुए। 14 वर्षीय नाबालिग के साथ सामूहिक बलात्कार, 45 वर्षीय चाय बागान श्रमिक सुलोचना बैग्या के साथ बलात्कार और हत्या, अल्पसंख्यक समुदाय की महिला का क्रूर यौन उत्पीड़न, 15 वर्षीय लड़की (बोधजंगनगर में) का अपहरण और सामूहिक बलात्कार, चंपकनगर में 12 वर्षीय नाबालिग और मंदिरघाट में 45 वर्षीय गृहिणी के साथ बलात्कार, गांधीग्राम में 13 वर्षीय नाबालिग के साथ सामूहिक बलात्कार और एक विश्वविद्यालय के सामने ऑटो में एक छात्रा के साथ सार्वजनिक छेड़छाड़ – इन घटनाओं ने राज्य में महिलाओं की सुरक्षा को लेकर गहरी चिंताएं पैदा कर दी हैं।
उनका कटाक्ष है, “भले ही मुख्यमंत्री ‘जीरो टॉलरेंस’ की बात करते हों, लेकिन हकीकत में कोई इस पर विश्वास नहीं करता। हम जानना चाहते हैं कि उनके ‘राम राज’ के दौरान महिलाओं की सतीत्व की रक्षा के लिए माता सीता कहां छिप गई थीं?”
स्थिति को देखते हुए महिला कांग्रेस ने कड़ी चेतावनी देते हुए कहा कि यदि महिलाओं के खिलाफ हिंसा के आरोपियों को तुरंत कड़ी सजा नहीं दी गई तो वे पूरे राज्य में बड़ा आंदोलन शुरू करने को मजबूर होंगी।
