वक्फ (संशोधन) विधेयक 2025 लोकसभा में पारित हुआ

वक्फ (संशोधन) विधेयक 2025 लोकसभा में पारित हुआ। विधेयक के पक्ष में 288 वोट, विधेयक के खिलाफ 232 वोट पड़े।

केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने विधेयक पेश करते हुए कहा कि इसका मुसलमानों की धार्मिक प्रथाओं से कोई लेना-देना नहीं है और यह केवल वक्फ बोर्डों से संबंधित संपत्तियों से संबंधित है। उन्होंने कहा कि सरकार वक्फ बोर्डों को समावेशी और धर्मनिरपेक्ष बनाना चाहती है। उन्होंने यह भी कहा कि यह कानून किसी मस्जिद के प्रबंधन के लिए नहीं है। मंत्री ने कानून को भविष्योन्मुखी बताते हुए कहा कि यह पूर्वव्यापी नहीं है और इसका उद्देश्य किसी की संपत्ति जब्त करना नहीं है।

मंत्री ने कहा कि मौजूदा विधेयक के अनुसार वक्फ बोर्डों में विभिन्न मुस्लिम संप्रदायों और महिलाओं का प्रतिनिधित्व होगा। उन्होंने विपक्ष पर विधेयक को लेकर लोगों को गुमराह करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि मौजूदा अधिनियम में देश में किसी भी भूमि को वक्फ संपत्ति घोषित करने के लिए कुछ प्रावधानों का दुरुपयोग किया गया है। उन्होंने कहा कि 2013 में यूपीए शासन के दौरान वक्फ अधिनियम में संशोधन किए गए थे, जिसका अन्य कानूनों पर व्यापक प्रभाव पड़ा। उन्होंने कहा कि कांग्रेस शासन के दौरान राष्ट्रीय राजधानी में कुल 123 संपत्तियां दिल्ली वक्फ बोर्ड को हस्तांतरित की गईं। उन्होंने कहा कि कानून बनाते समय संयुक्त संसदीय समिति के साथ-साथ सरकार ने हितधारकों के साथ व्यापक परामर्श किया था। उन्होंने सवाल किया कि भारत में दुनिया में सबसे ज्यादा वक्फ संपत्तियां हैं, फिर भी भारतीय मुसलमान गरीब क्यों हैं। अल्पसंख्यक कार्य मंत्री ने मुसलमान वक्‍फ (निरसन) विधेयक, 2024 भी पेश किया।

विपक्ष को जवाब देते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि कैबिनेट द्वारा अनुमोदित संयुक्त संसदीय समिति द्वारा विस्तृत विचार-विमर्श के बाद यह विधेयक लाया गया है। 

चर्चा की शुरुआत करते हुए कांग्रेस के गौरव गोगोई ने सरकार पर इस विधेयक पर लोगों को गुमराह करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि यह विधेयक संविधान के खिलाफ है। उन्होंने आरोप लगाया कि इस विधेयक के जरिए सरकार संविधान को कमजोर करना, अल्पसंख्यकों को बदनाम करना और भारतीय समाज को बांटना चाहती है कांग्रेस नेता ने कहा कि मौजूदा कानून में संशोधन से और अधिक समस्याएं पैदा होंगी। 

समाजवादी पार्टी के अखिलेश यादव ने आरोप लगाया कि सरकार महंगाई, बेरोजगारी, नोटबंदी और अन्य मुद्दों पर अपनी विफलता छिपाने के लिए यह विधेयक लाई है। उन्होंने प्रयागराज में महाकुंभ के दौरान भगदड़ की घटना और उसमें हुई मौतों को लेकर सरकार पर सवाल उठाए। श्री यादव ने आरोप लगाया कि इस विधेयक के पीछे की मंशा ठीक नहीं है और इसे भाजपा अपने वोट को नियंत्रित करने के लिए लाई है। उन्होंने कहा कि यह कानून देश की धर्मनिरपेक्ष छवि को नुकसान पहुंचाएगा। 

टीएमसी सांसद कल्याण बनर्जी ने प्रस्तावित कानून को गलत, तर्कहीन और मनमाना करार दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि यह मुस्लिम समुदाय के अधिकारों को कम करने का प्रयास है। श्री बनर्जी ने कहा कि धार्मिक कर्तव्यों का निर्वहन किसी भी कानून का आधार नहीं हो सकता। 

डीएमके के ए राजा ने विधेयक को असंवैधानिक और अल्पसंख्यक विरोधी बताया। उन्होंने आरोप लगाया कि यह विधेयक मुसलमानों के हितों को नुकसान पहुंचाएगा।

चर्चा में भाग लेते हुए भाजपा के रविशंकर प्रसाद ने कहा कि यह देश जितना हिंदुओं का है, उतना ही मुस्लिम समुदाय का भी है, इसमें कोई संदेह नहीं है। उन्होंने विपक्ष पर बहस के दौरान संविधान का चुनिंदा हवाला देने का आरोप लगाया। श्री प्रसाद ने विपक्ष से कानून को पूरी तरह से उद्धृत करने का आग्रह किया, इस बात पर जोर देते हुए कि संविधान स्वयं वक्फ संपत्तियों की रक्षा करने और हाशिए पर पड़े समुदायों के उत्थान के लिए सरकार के कार्यों का समर्थन करता है। श्री प्रसाद ने कहा कि विधेयक में वक्फ बोर्ड में महिलाओं को अनिवार्य रूप से शामिल करने का प्रस्ताव है, जिसका उद्देश्य वक्फ संपत्ति प्रबंधन में पारदर्शिता लाना और महिलाओं के प्रति न्याय सुनिश्चित करना है।

टीडीपी के कृष्ण प्रसाद टेनेटी ने विधेयक का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि 1 लाख 20 हजार करोड़ रुपये की वक्फ संपत्तियां और 36 लाख एकड़ से अधिक भूमि अल्पसंख्यकों के लिए आर्थिक और सामाजिक परिवर्तन का अवसर प्रस्तुत करती है। उन्होंने कहा कि इन संपत्तियों का कम उपयोग किया गया है और दुर्भावनापूर्ण इरादे से इनका कुप्रबंधन किया गया है। श्री टेनेटी ने कहा कि उनकी पार्टी द्वारा सुझाए गए संशोधनों को विधेयक में शामिल किया गया है। जनता दल यूनाइ‍टेड के नेता और केंद्रीय मंत्री राजीव रंजन सिंह (ललन) ने कहा कि चर्चा की शुरुआत से ही ऐसा माहौल बनाने की कोशिश की गई है जैसे कि विधेयक मुस्लिम विरोधी है। उन्होंने कहा कि विधेयक कतई मुस्लिम विरोधी नहीं है। श्री सिंह ने कहा कि वक्फ एक तरह का ट्रस्ट है जो मुसलमानों के हित में काम करने के लिए बनाया गया है।

उन्होंने कहा कि ट्रस्ट को मुसलमानों के सभी वर्गों के साथ न्याय करने का अधिकार है, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है और इसीलिए यह विधेयक लाया गया है। श्री सिंह ने कहा कि यह कानून वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में पारदर्शिता लाएगा और उनका दुरुपयोग रोकेगा।

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बहस में हस्तक्षेप करते हुए कहा कि कोई भी गैर-मुस्लिम वक्फ में नहीं आएगा। उन्होंने कहा कि धार्मिक संस्थाओं का प्रबंधन करने वालों में किसी गैर-मुस्लिम को शामिल करने का कोई प्रावधान नहीं है। श्री शाह ने कहा कि यह बहुत बड़ी भ्रांति है कि यह विधेयक मुसलमानों के धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप करेगा और उनके द्वारा दान की गई संपत्ति में हस्तक्षेप करेगा। उन्होंने कहा कि यह भ्रांति अल्पसंख्यकों में अपने वोट बैंक के लिए भय पैदा करने और विशिष्ट मतदाता आबादी को खुश करने के लिए फैलाई जा रही है। श्री शाह ने कहा कि यदि तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने 2013 में विधेयक में संशोधन नहीं किया होता तो इस विधेयक की आवश्यकता ही नहीं थी। उन्होंने कहा कि 2014 के चुनावों से पहले तुष्टिकरण के लिए उन्होंने लुटियन दिल्ली की प्रमुख भूमि को वक्फ संपत्ति के रूप में दे दिया। केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि कानून न्याय और लोगों के कल्याण के लिए होता है। 

समाजवादी पार्टी के मोहिबुल्लाह ने आरोप लगाया कि विधेयक समानता और धर्म के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि विधेयक के माध्यम से वक्फ बोर्ड की स्वायत्तता समाप्त की जा रही है।

शिवसेना के श्रीकांत शिंदे ने कहा कि इस विधेयक का नाम एकीकृत वक्फ प्रबंधन सशक्तीकरण, दक्षता और विकास (उम्मीद) रखा गया है और इससे अल्पसंख्यकों को प्रगति की उम्मीद जगेगी। उन्होंने विधेयक पर शिवसेना (यूबीटी) समेत विपक्ष के रुख पर निशाना साधा।

शिवसेना (यूबीटी) के अरविंद सावंत ने कहा कि वे वक्फ विधेयक पर गठित संयुक्त संसदीय समिति के सदस्य हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि अंत तक संयुक्त संसदीय समिति में एक-एक खंड पर चर्चा नहीं हुई। श्री सावंत ने यह भी आरोप लगाया कि सरकार की कथनी और करनी में बहुत अंतर है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *