विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने थाईलैंड में 20वीं बिम्सटेक मंत्रिस्तरीय बैठक को संबोधित किया

विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने आज बिम्सटेक सदस्य देशों से आग्रह किया कि वे मौजूदा वैश्विक व्यवस्था में अनिश्चितता और अस्थिरता को देखते हुए संगठन के प्रति अधिक महत्वाकांक्षी दृष्टिकोण अपनाएं। बैंकॉक, थाईलैंड में 20वीं बिम्सटेक मंत्रिस्तरीय बैठक को संबोधित करते हुए डॉ. जयशंकर ने कहा कि नई व्यवस्था मूल रूप से अधिक क्षेत्रीय और एजेंडा-विशिष्ट है। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि बिम्सटेक भारत की तीन महत्वपूर्ण पहलों का एक संयोजन है: एक्ट ईस्ट नीति, पड़ोसी प्रथम दृष्टिकोण और महा-सागर दृष्टिकोण। इसके साथ ही यह देश की हिंद-प्रशांत प्रतिबद्धता का मार्ग भी है।

उन्‍होंने सदस्यों से कहा कि वे अपनी ऊर्जा को सबसे प्रमुख एकीकरणों जैसे पावर ग्रिड कनेक्शनों, डिजिटल अवसंरचना, व्यावसायिक गतिविधियों, समुद्री और भूमि परिवहन, ब्लू इकोनॉमी, और स्वास्थ्य, खाद्य और ऊर्जा सुरक्षा पर केंद्रित करें। उन्होंने कहा कि भविष्य को देखते हुए, प्रौद्योगिकी, स्टार्ट-अप और नवाचार अधिक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। डॉ. जयशंकर ने पर्यटन को भी एक अन्य संभावित क्षेत्र के रूप में प्रोत्साहित किया और इस बात पर प्रकाश डाला कि बिम्सटेक देशों में सबसे अधिक संख्या में पर्यटक आने वाले लोगों में भारतीय हैं। उन्होंने साइबर सुरक्षा, आतंकवाद निरोधक उपाय, मानव तस्करी, अवैध मादक पदार्थों के व्यापार और अन्य संबंधित गतिविधियों की गंभीरता पर ध्यान देने तथा इनसे प्रभावी ढंग से निपटने के लिए आवश्यक रूपरेखा तैयार करने को भी कहा।

विदेश मंत्री ने हाल ही में आए भीषण भूकंप के बाद म्यांमार और थाईलैंड के प्रति एकजुटता और समर्थन भी व्यक्त किया। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि भारत इस स्थिति में प्रथम प्रतिक्रियाकर्ता के रूप में अपने दायित्व का निर्वाह कर रहा है।

बैठक के दौरान, बिम्सटेक विदेश मंत्रियों ने समुद्री परिवहन सहयोग पर एक समझौते पर हस्ताक्षर किए।

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