विदेश मंत्री सुब्रह्मण्यम जयशंकर ने निष्पक्ष और मजबूत अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था की आवश्यकता पर जोर दिया है। नई दिल्ली में आज रायसीना डायलॉग के एक सत्र को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि एक मजबूत वैश्विक व्यवस्था की अनुपस्थिति न केवल शक्तिशाली देशों को लाभ पहुंचाती है, बल्कि छोटे देशों को जोखिम उठाने और स्थापित मानदंडों को चुनौती देने में सक्षम बनाती है।
श्री जयशंकर ने कश्मीर पर पाकिस्तान के अवैध कब्जे का जिक्र करते हुए भारत की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का उल्लेख किया। उन्होंने इस मुद्दे से निपटने में संयुक्त राष्ट्र की भूमिका की आलोचना की और ब्रिटेन, कनाडा और अमरीका जैसे देशों की भूमिका पर भी सवाल उठाया। विदेश मंत्री ने कहा कि शुरुआत में पाकिस्तान के आक्रमण को स्वीकार करने के बजाय इसे विवाद के रूप में पेश किया गया।
श्री जयशंकर ने म्यामां और पश्चिमी देशों में सैन्य तख्तापलट पर अलग-अलग अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रियाओं का उल्लेख करते हुए वैश्विक मानकों में निष्पक्षता और स्थिरता की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने पिछले आठ दशकों में वैश्विक व्यवस्था की गहन समीक्षा का आह्वान किया और दुनिया में शक्ति के बदलते संतुलन को मान्यता देने का आग्रह किया।