अगरतला, 18 फरवरी: त्रिपुरा सरकार जल संसाधन, सिंचाई सुविधाएं और अच्छी पेयजल आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है। त्रिपुरा के मुख्यमंत्री प्रोफेसर (डॉ.) माणिक साहा ने आज उदयपुर में द्वितीय अखिल भारतीय राज्य जल मंत्रियों के सम्मेलन में यह बात कही।
इस अवसर पर उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ‘भारत 2047: जल सुरक्षित राष्ट्र’ के विजन के अनुरूप राजस्थान जल संरक्षण, प्रबंधन और सिंचाई परियोजनाओं पर महत्वपूर्ण कार्य कर रहा है। भाजपा सरकार जल संसाधनों के समुचित विकास, सिंचाई सुविधाओं और पेयजल की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है।
उन्होंने कहा कि जल शक्ति अभियान के शुभारंभ के बाद से त्रिपुरा में वार्षिक भूजल संसाधन 1.963 बिलियन क्यूबिक मीटर से बढ़कर 2024 में 1.18 बिलियन क्यूबिक मीटर हो गया है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने अगले कुछ वर्षों में त्रिपुरा की 80 प्रतिशत भूमि को कृषि योग्य बनाने का लक्ष्य रखा है।
श्रीसाहा ने कहा कि त्रिपुरा की अधिकांश अर्थव्यवस्था कृषि पर निर्भर है और राज्य सरकार कृषि उत्पादकता बढ़ाने तथा किसानों की आय बढ़ाने के लिए सिंचाई परियोजनाओं को प्राथमिकता दे रही है। वर्तमान में त्रिपुरा के कुल भौगोलिक क्षेत्र का 25 प्रतिशत भाग कृषि योग्य है। उन्होंने कहा कि तेज बहाव वाली नदियों और सीमित जल भंडारण क्षमता के कारण त्रिपुरा में बड़े पैमाने पर सतही जल सिंचाई परियोजनाएं संभव नहीं हैं। परिणामस्वरूप, राज्य सरकार वर्षा जल संचयन संरचनाएं और लघु सिंचाई बांध बनाने की योजना बना रही है।
उन्होंने यह भी कहा कि त्रिपुरा सरकार ने 30,000 हेक्टेयर क्षेत्र में लघु सिंचाई परियोजनाओं के लिए 98 स्थलों की पहचान की है। इनमें से 14 पर काम शुरू हो चुका है। त्रिपुरा में केवल 9.48 प्रतिशत भूजल का उपयोग किया जाता है, जो राष्ट्रीय औसत से काफी कम है।