लोकसभा ने संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के जवाब के बाद कल ध्वनिमत से प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया गया। धन्यवाद प्रस्ताव पर बहस का जवाब देते हुए प्रधानमंत्री ने संविधान में निहित मूल्यों को सुदृढ़ करने के लिए अपनी सरकार की अटूट प्रतिबद्धता व्यक्त की। राष्ट्रपति के अभिभाषण का उल्लेख करते हुए, संविधान के 75 वर्ष पूरे होने पर विस्तार से चर्चा की गई। प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि संविधान के अनुच्छेदों के अतिरिक्त, इसकी भावना के साथ तादात्मय स्थापित करना चाहिए। श्री मोदी ने कहा कि संविधान के प्रति उनकी सरकार की प्रतिबद्धता उन्हें सशक्त और जनहितैषी फैसले लेने के लिए प्रेरित करती है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार ने निर्धनों के कल्याण के लिए कई कदम उठाए हैं, जिसके परिणामस्वरूप 25 करोड़ लोगों को गरीबी से उबारा गया है। उन्होंने कहा कि यह सरकार की प्रतिबद्धता, समर्पण और कड़ी मेहनत के कारण ही संभव हो पाया है। श्री मोदी ने भरोसा दिलाया कि उनकी सरकार विकसित भारत के दृष्टिकोण के अनुरूप योजनाओं को लागू करने की दिशा में कार्यरत है। उन्होंने राष्ट्रपति के अभिभाषण को प्रेरणास्पद बताते हुए कहा कि यह विकसित भारत के संकल्प को सुदृढ़ करता है, लोगों को नई आशाएं और प्रेरणा प्रदान करता है। श्री मोदी ने कहा कि उनकी सरकार ने निर्धनों के दर्द और मध्यम वर्ग की आकांक्षाओं को समझते हुए समाज के सभी वर्गों के लिए पूरी लगन से काम किया है।
श्री मोदी ने कहा कि उनके कार्यकाल में पूंजीगत व्यय के लिए बजट-आवंटन में काफी बढ़ोतरी हुई है और इसे बढ़ाकर 11 लाख 21 हजार करोड़ रुपये से अधिक कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि सरकार की कार्यशैली में पारदर्शिता लाई है, जिससे करोड़ों रुपये की बचत हुई है। उन्होंने कहा कि सही लाभार्थियों की पहचान से तीन लाख करोड़ रुपये की बचत हुई है। उन्होंने कहा कि पिछले दस वर्षों में मध्यम वर्ग को कर-प्रोत्साहन प्रदान करने के लिए विभिन्न कदम उठाए गए हैं, जिसके परिणामस्वरूप अधिक बचत हुई है। उन्होंने कहा कि हाल ही में सरकार ने 12 लाख रुपये तक की आयकर छूट की घोषणा की है जो मध्यम वर्ग की वित्तीय स्थिति को मजबूत करने की दिशा में एक बड़ा कदम है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार ने देश के युवाओं के लिए रोजगार के अवसरों में वृद्धि की है। प्रधानमंत्री ने कहा कि उनके लिए एआई का अर्थ सिर्फ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस नहीं बल्कि आकांक्षी भारत भी है। प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार ने प्रत्येक क्षेत्र में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग को अधिकतम अवसर प्रदान करने के लिए दृढ़ता से काम किया है। उन्होंने कहा कि एनडीए सरकार ने जनजातीय लोगों के कल्याण के लिए जनजातीय कार्य मंत्रालय का गठन है। उन्होंने कहा कि यह उनकी सरकार ही थी, जिसने गरीबों और बुजुर्गों के लिए आयुष्मान भारत की शुरुआत की थी।
सात दशकों तक जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को संवैधानिक अधिकारों से वंचित रखने का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि यह संविधान और जम्मू-कश्मीर तथा लद्दाख-दोनों के लोगों के साथ अन्याय था। प्रधानमंत्री ने कहा कि अनुच्छेद 370 को हटाकर अब इन क्षेत्रों के लोगों को देश के अन्य नागरिकों के समान अधिकार प्राप्त हुए हैं। उन्होंने कहा कि वे संविधान में निहित भावना को समझते हैं और उसी के अनुसार कार्य करते हैं और इसी कारण सशक्त निर्णय लेते हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि शहरी नक्सलियों की भाषा बोलने वाले और भारतीय राज्य के खिलाफ बोलने वाले लोग संविधान या देश की एकता को नहीं समझ सकते। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार लोगों के विकास और समृद्धि में विश्वास करती है और ‘विषाक्त राजनीति’ का सहारा नहीं लेती। उन्होंने राष्ट्रपति के खिलाफ की गई कथित टिप्पणियों पर भी कटाक्ष किया। उन्होंने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि राष्ट्रपति के खिलाफ ऐसी टिप्पणी की गई। उन्होंने कहा कि महिलाओं में हर क्षेत्र में अपार क्षमता है और यदि उन्हें अवसर मिले तो वे चमत्कार करने की क्षमता रखती हैं।
उन्होंने कहा कि सरकार, देश की तीन करोड़ महिलाओं को लखपति दीदी बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। श्री मोदी ने कहा कि सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) बढ़ाकर और पीएम किसान सम्मान निधि जैसी योजनाओं के तहत वित्तीय सहायता प्रदान करके किसानों के कल्याण के लिए भी काम कर रही है। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम-एमएसएमई को उनके विकास के लिए वित्तीय और अन्य सहायता प्रदान कर रही है। ऐसे फैसलों से युवाओं के लिए लाखों नौकरियां सृजित हुई हैं।