फ्रांस का परमाणु चालित विमानवाहक चार्ल्स डी गॉल नौसैनिक अभ्यास वरुण के लिए कल गोवा पहुंचा। इस 42वें वार्षिक अभ्यास में फ्रांस की ओर से युद्धक विमान राफेल की भी भागीदारी होगी। पश्चिमी कमान के अनुसार, इस अभ्यास से दोनों देशों की नौसेना के बीच मिलकर काम करने की समझ मजबूत होगी।
फ्रांस वर्ष 2008 से ही हिंद-प्रशांत नौसैनिक सिम्पोजियम का सदस्य है। इस संगठन की पहल भारत ने ही की थी और इसमें 25 देशों की नौसेना शामिल है। इसका उद्देश्य तस्करी, अवैध रूप से मछली पकड़ने, समुद्र में तलाशी और बचाव अभियान तथा प्रदूषण से निपटने के लिए मिलकर काम करना है।
भारत और फ्रांस हिंद महासागर में समुद्री सुरक्षा के लिए नियमित रूप से सहयोग करते हैं। भारत 1998 से ही फ्रांस का एक अग्रणी सामरिक भागीदार है। दोनों देशों के बीच जमीनी युद्ध के लिए शक्ति अभ्यास तथा हवाई युद्ध के लिए गरुड़ अभ्यास होते रहे हैं। भारत फ्रांसीसी पोतों के ठहराव के लिए 16 पत्तन भी मुहैया कराता रहा है।