प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि निर्माणाधीन नोएडा अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और उत्तर प्रदेश में यातायात संपर्क को मजबूत करेगा और इससे लोगों को काफी आसानी होगी। सोशल मीडिया मंच एक्स पर अपने पोस्ट में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि उनकी सरकार यह सुनिश्चित कर रही है कि आम लोगों के लिए उच्च गुणवत्ता वाले बुनियादी ढांचे का निर्माण हो और वे समृद्धि बढ़ाने के लिए संपर्क सुविधा की शक्ति का लाभ उठा सकें।
कल नोएडा अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा ऐतिहासिक पल का साक्षी बना। परीक्षणों के बीच वहां पर कल पहला विमान सफलतापूर्वक उतरा और पानी की तेज धार से सलामी देकर उसका औपचारिक स्वागत किया गया। दिल्ली से पहुंची यह उड़ान कल दिन में डेढ़ बजे वहां पर उतरी। विमान में भारतीय विमान पत्तन प्राधिकरण के अधिकारी और तकनीकी विशेषज्ञ सवार थे। हवाई अड्डे की तैयारी के परीक्षण की दिशा में यह एक महत्वपूर्ण कदम था।
विमान में सवार दल ने उसकी उड़ान के प्रत्येक चरण के दौरान बड़े पैमाने पर तकनीकी आंकड़े इकट्ठे किये ताकि संचालन में सुरक्षा और सक्षमता सुनिश्चित की जा सके।
परीक्षण के दौरान विमान ने जेवर में 3900 मीटर की हवाई पट्टी पर उतरने से पहले 15 मिनट उड़ान भरी। वहां पर पांच मिनट रूकने के बाद विमान ने पुन: उड़ान भरी। इस दौरान जमा किये गये आंकड़ों को नागरिक उड्डयन महानिदेशालय में विश्लेषण के लिए भेजा जाएगा। यह परीक्षण 15 दिसंबर तक जारी रहेंगे। नोएडा हवाई अड्डे से पहली व्यावसायिक उड़ान अप्रैल 2025 में शुरू होने की संभावना है।
हवाई अड्डे का लगभग 85 प्रतिशत निर्माण कार्य पूरा हो चुका है। वहां पर कैट-1 और कैट-3 जैसे उन्नत उपकरणों और प्रणालियों को लगाया जा चुका है, जिनसे कोहरे की स्थिति में भी उड़ान के लिए दृश्यता में आसानी होगी। इन प्रणालियों का परीक्षण अक्टूबर में किया जा चुका है।
हवाई अड्डे पर 3.9 किलोमीटर हवाई पट्टी का निर्माण पूरा हो चुका है। टर्मिनल भवन भी लगभग पूरा होने वाला है, उसमें छत के निर्माण और उपकरणों को लगाने का काम चल रहा है। वहीं 38 मीटर ऊंचा एयर ट्रैफिक कंट्रोल टॉवर भी पूरी तरह से चालू है।
नोएडा अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे का संचालन ज्यूरिख इंटरनेशनल एयरपोर्ट एजी को सौंपा गया है। इसके प्रबंधन के लिए 40 वर्षों का ठेका दिया गया है। अप्रैल में चालू होने के बाद से इस हवाई अड्डे से प्रतिदिन 65 उड़ानें संचालित की जाएंगी, जिनमें से 62 घरेलू, दो अंतरराष्ट्रीय और एक कारगो उड़ान होगी। इससे प्रतिवर्ष एक करोड़ बीस लाख यात्री सफर कर सकेंगे। निर्माण कार्य पूरा होने के बाद यह एशिया में चौथा सबसे बड़ा हवाई अड्डा होगा।