केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेन्द्र यादव ने सउदी अरब के रियाद में मरुस्थलीकरण से निपटने के लिए संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन के कॉप-16 में भूमि क्षरण और मरुस्थलीकरण को रोकने के प्रति भारत के व्यापक दृष्टिकोण का उल्लेख किया। सूखे से निपटने पर मंत्रिस्तरीय वार्ता के दौरान श्री यादव ने तैयारियों और रोकथाम पर केंद्रित सक्रिय, टिकाऊ रणनीतियों के लिए सूखे के प्रति प्रतिक्रियात्मक प्रतिक्रिया से भारत के परिवर्तन का उल्लेख किया।
कॉप-16 के मंत्री स्तरीय सत्र के अपने संबोधन में श्री यादव ने 2030 तक 26 मिलियन हेक्टेयर की क्षरित भूमि की स्थिति सुधारने के प्रति भारत की वचनबद्धता दोहराई। कॉप-14 की अपनी अध्यक्षता के दौरान भारत ने यह वचन दिया था। उन्होंने घोषणा की कि वादे के अनुसार सतत भूमि प्रबंधन उत्कृष्टता केंद्र की स्थापना कर दी गई है। यह केंद्र भूमि की स्थिति सुधारने के लिए सक्रियता से तकनीक आधारित रणनीतियों पर काम कर रहा है।
सूखे के प्रबंधन में भारत की प्रौद्योगिकी दक्षता का भी उल्लेख किया गया। राष्ट्रीय सुदूर संवेदन केंद्र को सूखे की संवेदनशीलता का आकलन करने और वास्तविक समय पर निगरानी रखने में उनकी भूमिका के लिए सम्मानित किया गया। ये सेवाएं अन्य राष्ट्रों के सूखा शमन प्रयासों में सहायता प्रदान करने के लिए भी उपलब्ध हैं। भारत के समग्र दृष्टिकोण में कृषि स्थिरता को बढ़ावा देने के लिए जैविक कृषि और किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड जारी करने जैसे व्यवहारिक उपाय शामिल हैं।
ये पहल हरित रोजगार सृजित करने, खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने और ग्रामीण समृद्धि को बढ़ावा देते हुए जलवायु अनुकूलता के निर्माण सहित व्यापक उद्देश्यों के अनुरूप हैं। इस सम्मेलन से अलग श्री यादव ने सतत विकास और परस्पर हितों के क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करते हुए सऊदी अरब और केन्या के अपने समकक्षों के साथ द्विपक्षीय वार्ता की। इस सम्मेलन में भारत की भागीदारी वैश्विक पर्यावरणीय सहयोग और सतत भूमि प्रबंधन कार्य प्रणालियों के प्रति इसकी वचनबद्धता दर्शाती है।