राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के लिए सभी देशवासियों से राष्ट्र प्रथम का दृष्टिकोण अपनाने पर बल दिया है। हैदराबाद में आज लोक मंथन के चौथे संस्करण को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने इस बात पर जोर दिया कि सभी नागरिकों को देश की सांस्कृतिक तथा बौद्धिक विरासत को समझना चाहिए और हमारी अमूल्य परंपराओं को मजबूत करना चाहिए।
राष्ट्रपति ने कहा कि विविधता देश की एकता को सुंदरता के इंद्रधनुष में पिरोती है और राष्ट्रीय एकता की भावना ने कई चुनौतियों के बावजूद देश को एकजुट रखा है। उन्होंने कहा कि सदियों से भारतीय समाज को विभाजित और कमजोर करने के प्रयास किए गए हैं। राष्ट्रपति ने कहा कि कृत्रिम भेदभाव स्वाभाविक एकता को नहीं तोड़ सकते और भारतीयता की भावना से ओतप्रोत नागरिकों ने राष्ट्रीय एकता की मशाल जलाए रखी है।
श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने कहा कि प्राचीन काल से भारतीय विचारधारा का प्रभाव दुनिया भर में दूर-दूर तक फैला है और पूरे विश्व ने भारत की धार्मिक मान्यताओं, कला, संगीत, तकनीक, चिकित्सा प्रणालियों, भाषा और साहित्य की सराहना की है। उन्होंने कहा कि भारतीय दर्शन ने ही विश्व समुदाय को आदर्श जीवन मूल्यों का उपहार दिया है।
उन्होंने कहा कि हमारे पूर्वजों की गौरवशाली परंपरा को मजबूत करना हम सबकी जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि सदियों से साम्राज्यवाद और औपनिवेशिक शक्तियों ने न केवल भारत का आर्थिक शोषण किया, बल्कि हमारे सामाजिक ताने-बाने को भी नष्ट करने की कोशिश की। हैदराबाद के दो दिन के दौरे के बाद राष्ट्रपति दिल्ली के लिए रवाना हो गई हैं।