अगरतला, 8 नवंबर: त्रिपुरा सरकार का एकमात्र उद्देश्य त्रिपुरा में मछली पालन के माध्यम से बेरोजगारों को आजीविका प्रदान करना है। मंत्री सुधांशु दास ने आज गोरखा बस्ती स्थित मत्स्य आयुक्त कार्यालय में राज्यवार समीक्षा बैठक में यह बात कही.
उन्होंने कहा कि इस दिन पशु संसाधन विकास विभाग के सभी जिम्मेदार अधिकारियों के साथ एक समीक्षा बैठक आयोजित की गई है, इस बैठक में मूल रूप से मछली, अंडे, दूध और मांस के उत्पादन में वृद्धि पर चर्चा की गई है साथ ही पशु संसाधन विकास विभाग का काम किस स्तर पर चल रहा है, इस पर भी चर्चा की गई है.
उन्होंने कहा, आज के दिन त्रिपुरा में आई भयानक बाढ़ के कारण मछली पालकों को काफी नुकसान हुआ है. राज्य सरकार लगातार उन्हें मुआवजा देने की कोशिश कर रही है. बाढ़ से राज्य के मछुआरों को 1350 करोड़ का नुकसान. राज्य सरकार ने फिलहाल सिर्फ 10 करोड़ रुपये का योगदान दिया है.
उनके मुताबिक राज्य में हर साल करीब 1 लाख 16 हजार मीट्रिक टन मछली की मांग रहती है. उसके अनुपात में मछली का उत्पादन 83 हजार मीट्रिक टन है. लगभग 32,000 मीट्रिक टन मछलियाँ कम आपूर्ति में हैं, जो पश्चिम बंगाल, ओडिशा, आंध्र प्रदेश और कुछ बांग्लादेश से आ रही हैं। लेकिन बांग्लादेश के मौजूदा हालात के कारण कुछ दिक्कतें पैदा हो गई हैं.
इसके अलावा, समीक्षा बैठक में इस बात पर भी चर्चा हुई कि मछली, अंडे, दूध, मांस के मामले में आम लोगों की जरूरतों को पूरा करने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं।