नया दिल्ली, ८ नवम्बर : विदेश मंत्री एस जयशंकर ने आज साझा-हित के क्षेत्रों में राजनीतिक चुनौतियों का उल्लेख करते हुए कहा कि इनका समाधान सामूहिक रूप से किया जाना चाहिए। उन्होंने इस संदर्भ में म्यांमार की स्थिति का उदाहरण दिया। उन्होंने कहा कि इस मामले में निकटवर्ती देशों के हित और दृष्टिकोण स्वाभाविक रूप से भिन्न हैं।
डॉ. जयशंकर सिंगापुर में आसियान–भारत नेटवर्क ऑफ थिंक–टैंक के 8वें गोलमेज सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। यह कार्यक्रम आसियान-भारत केंद्र और आई.एस.ई.ए.एस. यूसोफ इशाक संस्थान के आसियान अध्ययन केंद्र द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित किया गया था।
इससे पहले, विदेश मंत्री ने उप-प्रधानमंत्री और व्यापार तथा उद्योग मंत्री गान किम योंग से मुलाकात के साथ अपनी सिंगापुर यात्रा शुरू की। दोनों नेताओं ने औद्योगिक पार्क, नवाचार और सेमीकंडक्टर जैसे क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करते हुए समकालीन द्विपक्षीय साझेदारी को आगे बढ़ाने के तरीकों पर चर्चा की। डॉ. जयशंकर दो देशों की यात्रा के दूसरे चरण में ऑस्ट्रेलिया के बाद सिंगापुर पहुंचे हैं।
डॉ. जयशंकर एक दिन की यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच घनिष्ठ साझेदारी की समीक्षा और द्विपक्षीय संबंधों को और बढ़ाने के उपाय तलाशने के लिए सिंगापुर के शीर्ष नेतृत्व से भी मिलेंगे।
विदेश मंत्रालय ने कहा है कि डॉ. जयशंकर की यात्रा हाल के उच्च स्तरीय आदान-प्रदान की कड़ी का हिस्सा है और सिंगापुर तथा भारत के बीच घनिष्ठ और दीर्घकालिक संबंधों की पुष्टि करती है। दोनों देशों के बीच घनिष्ठ द्विपक्षीय संबंध हैं।
1990 के दशक के शुरु में लुक ईस्ट पॉलिसी की शुरुआत के बाद से सिंगापुर ने भारत को दक्षिण पूर्व एशिया के देशों से फिर से जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। सिंगापुर में भारतीय समुदाय देश की कुल आबादी का लगभग 9 दशमलव 2 प्रतिशत है।
दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों के संगठन (आसियान) में इंडोनेशिया, सिंगापुर, फिलीपींस, मलेशिया, ब्रुनेई, थाईलैंड, कंबोडिया, लाओस, म्यांमार और वियतनाम शामिल हैं।