गाजियाबाद प्रकरण के विरोध में दिल्ली की निचली अदालतों में वकीलों ने किया न्यायिक कार्य का बहिष्कार

नई दिल्ली, 4 नवंबर (हि.स.)। गाजियाबाद में वकीलों पर 29 अक्टूबर को हुए पुलिस लाठीचार्ज के विरोध में आज दिल्ली की निचली अदालतों के वकीलों ने न्यायिक कार्य का बहिष्कार किया। हालांकि, दिल्ली हाई कोर्ट में पूर्ववत की तरह कामकाज हुआ।

दिल्ली की आज सभी अदालतों के बार एसोसिएशंस के संगठन कोआर्डिनेशन कमेटी ऑफ ऑल बार एसोसिएशंस ऑफ दिल्ली के आह्वान पर निचली अदालतों के वकीलों ने न्यायिक कार्य का बहिष्कार किया। पटियाला हाउस कोर्ट में बार एसोसिएशन के नेता कोर्ट रूम के अलावा कोर्ट परिसर में स्थित फोटो कॉपी, कोरियर, स्टेशनरी इत्यादि की दुकानों को बंद कराते नजर आए। ऐसा ही नजारा कड़कड़डूमा कोर्ट, तीस हजारी कोर्ट, रोहिणी कोर्ट, साकेत कोर्ट समेत सभी जिला अदालतों में देखने को मिला। बार एसोसिएशन के नेताओं ने न्यायिक अधिकारियों से भी किसी मामले में प्रतिकूल आदेश पारित नहीं करने की अपील की। इसका असर ये हुआ कि सभी मामलों में सुनवाई के दौरान केवल तारीख ही मिली।

कोआर्डिनेशन कमेटी ऑफ ऑल बार एसोसिएशंस ऑफ दिल्ली की 3 नवंबर को बैठक हुई थी, जिसमें गाजियाबाद की घटना के विरोध में 4 नवंबर को दिल्ली की सभी अदालतों में न्यायिक कार्य के बहिष्कार का फैसला लिया गया था। दिल्ली में वकीलों की हड़ताल आगे होगी कि नहीं अभी इस पर कोई फैसला नहीं किया गया है। गाजियाबाद कोर्ट परिसर में हुई इस घटना के बाद सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन और वकीलों के अखिल भारतीय संगठन ऑल इंडिया लॉयर्स यूनियन ने निंदा करते हुए मामले की न्यायिक जांच की मांग की थी।

उल्लेखनीय है कि 29 अक्टूबर को गाजियाबाद में जिला जज अनिल कुमार को जमानत के एक मामले की सुनवाई के दौरान वकीलों से उनकी बहस हो गई। बहस इतनी जोरदार हुई कि काफी वकील कोर्ट रूम में जुट गए, जिसके बाद पुलिस को बुला लिया गया। पुलिस ने वकीलों पर लाठी चार्ज किया। इस घटना के बाद गाजियाबाद बार एसोसिशएन ने 4 नवंबर से वकीलों की हड़ताल का आह्वान किया है। गाजियाबाद बार एसोसिएशन ने जिला जज और लाठी चार्ज के लिए जिम्मेदार पुलिस अफसरों के ट्रांसफर तक हड़ताल जारी रखने का आह्वान किया है।

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