नई दिल्ली, 30 अक्टूबर (हि.स.)। विश्व स्ट्रोक दिवस के उपलक्ष्य में विकलांग व्यक्तियों के सशक्तीकरण विभाग (डीईपीडब्ल्यूडी) के तहत राष्ट्रीय संस्थानों और समग्र क्षेत्रीय केंद्रों ने स्ट्रोक की गंभीरता, इसकी रोकथाम और उपचार के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए। इस वर्ष का उद्देश्य स्ट्रोक के कारण होने वाली विकलांगता और मृत्यु दर को कम करना है।
आँकड़ों के अनुसार स्ट्रोक विश्व स्तर पर मृत्यु का दूसरा प्रमुख कारण और विकलांगता का तीसरा प्रमुख कारण है। हर साल लगभग 1.8 मिलियन लोग स्ट्रोक से प्रभावित होते हैं। इसकी गंभीरता को देखते हुए स्ट्रोक के प्रभाव को संबोधित करने के लिए डीईपीडब्ल्यूडी द्वारा देश भर में जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए गए।
कोलकाता में राष्ट्रीय लोकोमोटर विकलांगता संस्थान (एनआईएलडी) ने स्ट्रोक के बारे में जनता को शिक्षित करने के उद्देश्य से नुक्कड़ नाटक और जागरूकता सत्र आयोजित किए। इन सत्रों में विशेषज्ञों ने स्ट्रोक से जुड़े लक्षणों, जोखिमों और निवारक उपायों पर चर्चा की।
नेल्लोर में समग्र क्षेत्रीय केंद्र (सीआरसी) ने एक जागरूकता सत्र आयोजित किया, जहां उन्होंने विश्व स्ट्रोक दिवस के महत्व, स्ट्रोक के कारणों और इसके प्रभावों पर चर्चा की। विशेषज्ञों ने इस बात पर प्रकाश डाला कि समय पर प्रतिक्रिया और उचित उपचार कई लोगों की जान बचा सकता है। इसके अतिरिक्त सीआरसी ने स्ट्रोक से प्रभावित लोगों के लिए उपलब्ध सेवाओं के बारे में जानकारी प्रदान की।
कुल्लू, बोलांगीर, राजनांदगांव और अन्य स्थानों पर भी अन्य सीआरसी ने जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए, जिसमें लोगों को स्ट्रोक के शुरुआती लक्षणों को पहचानने और समय पर चिकित्सा सहायता प्राप्त करने के बारे में शिक्षित करने पर ध्यान केंद्रित किया गया।
इन पहलों के माध्यम से डीईपीडब्ल्यूडी का लक्ष्य स्ट्रोक के बारे में जागरूकता बढ़ाना और इस बात पर जोर देना है कि सही ज्ञान और सतर्कता के साथ स्ट्रोक से जुड़े जोखिमों को काफी कम किया जा सकता है। विश्व स्ट्रोक दिवस कार्यक्रमों के माध्यम से विभाग लोगों को स्ट्रोक और इसके प्रभावों के बारे में अधिक जागरूक बनाने की अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि करता है।