नई दिल्ली, 26 अक्टूबर (हि.स.)। केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान , केंद्रीय पर्यावरण , वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेन्द्र यादव की अध्यक्षता में आज एक अंतर- मंत्रालयी बैठक बुलाई गई। बैठक में राज्याें काे धान की फसल के अपशिष्ट जलाने की घटनाओं को राेक लगाने का दिशा निर्देश दिया गया। राज्यों को उन हॉटस्पॉट जिलों की पहचान करने की सलाह दी गई है जहां भविष्य में आग लगने की घटनाएं हो सकती हैं और सभी आवश्यक संसाधनों को तैनात करके योजना बनाने और स्थिति से निपटने के लिए कहा गया है। पहले से उपलब्ध कराई गई 3 लाख से अधिक मशीनों के प्रभावी उपयोग के लिए राज्य स्तर पर एक उपयुक्त प्रणाली स्थापित करने काे भी निर्देश दिशा गया। केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने यह जानकारी दी।
बैठक के बाद मंत्रालय की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि हरियाणा सरकार ने इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड द्वारा 2जी इथेनॉल संयंत्र के लिए पहचाने गए समूहों में उपरोक्त के अलावा गांठें बनाकर फसल अवशेषों के प्रबंधन के लिए किसानों को 1000 रुपये प्रति एकड़, अतिरिक्त 500 रुपये प्रति मीट्रिक टन के प्रोत्साहन की घोषणा की है। पानीपत, धान के भूसे की सामान्य निर्धारित दर 2500 रुपये प्रति मीट्रिक टन, धान के भूसे की गांठों की खपत के लिए परिवहन शुल्क 500 रुपये, अधिकतम 15000 रुपये तक गौशालाओं को प्रदान किया जाता है। 2023 की तुलना में इस साल पंजाब में 35 प्रतिशत और हरियाणा में 21 प्रतिशत कम जलने की घटनाएं हुईं।
मंत्रालय की ओर से जारी बयान के मुताबिक, फसल अपशिष्ट जलाने के कारण दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में वायु प्रदूषण को संबोधित करने के लिए केंद्र सरकार वित्त पोषण योजना के तहत केंद्र पहले से ही पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और दिल्ली राजधानी क्षेत्र को वित्तीय सहायता प्रदान कर रहा है। चालू वर्ष में कुल 600 करोड़ रुपये के आवंटन में से 275 करोड़ रुपये पहले ही जारी किये जा चुके हैं। यह योजना किसानों, सहकारी समितियों, किसान उत्पादक संगठनों और पंचायतों को वित्तीय सहायता प्रदान करके फसल अपशिष्ट प्रबंधन मशीनरी के उपयोग को बढ़ावा देती है।
शनिवार काे हुई इस बैठक में पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश, राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के राज्य कृषि मंत्रियों ने भाग लिया। पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, दिल्ली राज्य सरकारों के वरिष्ठ अधिकारी, कृषि और किसान कल्याण विभाग, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित रहे।