मोदी-जिंगपिंग वार्ताः सीमा विवाद पर विशेष प्रतिनिधि वार्ता प्रक्रिया फिर से होगी सक्रीय

नई दिल्ली, 23 अक्टूबर (हि.स.)। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिंगपिंग में करीब पांच वर्ष बाद आयोजित हुई शिखरवार्ता में सीमा संबंधी विवाद और अन्य संबंधित मुद्दों के समाधान के लिए दोनों देशों के विशेष प्रतिनिधि वार्ता प्रक्रिया को फिर सक्रीय बनाने का निर्देश दिया। विशेष प्रतिनिधि वार्ता पिछली बार दिसंबर 2019 में हुई थी तथा वर्ष 2020 में गलवान घाटी के घटनाक्रम के बाद से नहीं हुई थी।

विदेश सचिव विक्रम मिस्त्री ने मोदी और शी जिंगपिंग की वार्ता के बाद एक पत्रकार वार्ता में कहा कि दोनों नेताओं ने अधिकारी स्तर पर वार्ता प्रक्रिया को सक्रीय बनाने का निर्देश दिया है, जिसमें विश्वास बहाली के उपायों तथा कैलाश मानसरोवर यात्रा पर चर्चा होगी। उन्होंने कहा कि विशेष प्रतिनिधियों के बीच वार्ता का अगला दौर जल्द ही होगा।

राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, चीन के विदेश मंत्री वांग यी, विशेष प्रतिनिधि अपने देशों का प्रतिनिधित्व करते रहे हैं।

विदेश सचिव ने कहा कि मोदी और जिंगपिंग ने इस बात पर जोर दिया कि बुद्धिमत्ता और परिपक्वता तथा एक दूसरे के हितों की चिंताओं, अपेक्षाओं और संवेदनशीलता का ध्यान रखकर द्विपक्षीय संबंधों को शांतिपूर्ण, स्थिर और लाभकारी बनाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि सीमा क्षेत्र में शांति और सामान्य स्थिति से द्विपक्षीय संबंधों को सामान्य बनाने का मार्ग प्रशस्त होगा। दोनों देशों के अधिकारी रणनीतिक संवाद और द्विपक्षीय संबंधों को सामान्य बनाने के ले मौजूदा वार्ता प्रक्रिया का उपयोग करेंगे। इसमें विदेश मंत्री स्तर की वार्ता प्रक्रिया शामिल है।

प्रधानमंत्री मोदी ने शंघाई सहयोग संगठन में चीन की अगले वर्ष की अध्यक्षता के लिए भारत के पूर्ण समर्थन का वादा किया।

विदेश सचिव ने आशा व्यक्त की कि दोनों देशों के शीर्ष नेताओं की वार्ता और पिछले कुछ दिनों के घटनाक्रम से वास्तविक नियंत्रण रेखा की स्थिति सहज बनेगी। विभिन्न प्रक्रियाओं के जरिए दोनों पक्ष की वार्ता में विश्वास बहाली उपायों पर चर्चा होगी।

भारत-चीन सीमा विवाद के प्रमुख बिन्दुओं ​​डेपसांग और डेमचोक के सवाल पर विदेश सचिव ने कहा कि उनके हाल के बयानों में स्थिति स्पष्ट की गई है। सीमा मुद्दे पर आखिरी समझौता 2022 सितंबर में हुआ था। तब से वास्तविक नियंत्रण रेखा के साथ शेष क्षेत्रों में लंबित मुद्दों का समाधान खोजने की कोशिश की जा रही थी। यह समझौता मूलतः इन्हीं क्षेत्रों जिसमें ​​डेपसांग और डेमचोक भी शामिल है से संबंधित है।

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