– छह सत्रों के दौरान राष्ट्रीय सुरक्षा और विकास पर भारत की रणनीतिक दिशा पर होगी चर्चा
नई दिल्ली, 23 अक्टूबर (हि.स.)। अंतरराष्ट्रीय सेमिनार ‘चाणक्य डिफेंस डायलॉग’ का दूसरा संस्करण राजधानी के मानेकशॉ सेंटर में 24 और 25 अक्टूबर को होगा, जिसकी मेजबानी भारतीय सेना करेगी। इस बार की थीम ‘राष्ट्र निर्माण में प्रेरक: व्यापक सुरक्षा के माध्यम से विकास को बढ़ावा देना’ रखी गई है। इस हाई-प्रोफाइल कार्यक्रम में राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय नीतियों के मद्देनजर महत्वपूर्ण चर्चाएं होंगी, जिनका उद्देश्य टिकाऊ और समावेशी विकास के लिए दूरदर्शी रणनीति तैयार करना है।
रक्षा मंत्रालय के अनुसार दो दिवसीय कार्यक्रम में भारत और विदेशों से नीति निर्माताओं, रणनीतिक विचारकों, शिक्षाविदों, रक्षा कर्मियों, दिग्गजों, वैज्ञानिकों और एसएमई के समूहों को एक साथ लाया जाएगा, जिसमें संयुक्त राज्य अमेरिका, रूस, इजराइल और श्रीलंका के प्रमुख वक्ता शामिल होंगे। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह मुख्य अतिथि के रूप में इस कार्यक्रम का उद्घाटन करेंगे। वह ‘विकास और सुरक्षा के लिए भारत के दृष्टिकोण’ पर मुख्य भाषण देंगे, जिसमें 2047 तक विकसित भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने में व्यापक सुरक्षा के महत्व पर जोर दिया जाएगा। थल सेनाध्यक्ष जनरल उपेंद्र द्विवेदी भी श्रोताओं को संबोधित करेंगे, जिसमें राष्ट्र निर्माण में भारतीय सेना के महत्वपूर्ण योगदान पर प्रकाश डाला जाएगा।
चाणक्य डिफेंस डायलॉग में विशेषज्ञों के नेतृत्व में छह सत्र होंगे, जिनमें से प्रत्येक व्यापक सुरक्षा के महत्वपूर्ण पहलुओं पर केंद्रित होगा। पहले सत्र में बदलते भू-राजनीतिक परिदृश्य पर गहन चर्चा होगी, जिसमें भारत की रणनीतिक स्थिति पर विकसित हो रही वैश्विक शक्ति का पता लगाया जाएगा। दूसरे सत्र में इस बात की जांच की जाएगी कि आर्थिक विकास और राष्ट्रीय सुरक्षा किस तरह से एक दूसरे से जुड़े हुए हैं तथा मजबूत रक्षा स्थिति बनाए रखने के लिए एक लचीली अर्थव्यवस्था के महत्व पर विचार किया जाएगा। जलवायु परिवर्तन पर बढ़ते वैश्विक अध्ययन के साथ तीसरे सत्र में आर्थिक विकास को पर्यावरणीय स्थिरता के साथ संतुलित करने की आवश्यकता पर चर्चा की जाएगी।
चाणक्य डिफेंस डायलॉग का चौथा सत्र राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए सामाजिक एकता और समावेशी विकास के महत्व पर केंद्रित होगा। पैनल इस बात की जांच करेगा कि सामाजिक सामंजस्य को बढ़ावा देकर आर्थिक असमानताओं को दूर करके और समाज के सभी वर्गों में समावेशी विकास को बढ़ावा देकर आंतरिक सुरक्षा को कैसे मजबूत किया जा सकता है। पांचवें सत्र में उभरती हुई प्रौद्योगिकियों को राष्ट्रीय सुरक्षा ढांचे में एकीकृत करने पर चर्चा की जाएगी। छठे और समापन सत्र में भूमि युद्ध के भविष्य पर ध्यान केंद्रित करके बताया जाएगा कि भारतीय सेना युद्ध के मैदान की तैयारी को बढ़ाने के लिए उन्नत तकनीकों को कैसे अपना सकती है। पैनलिस्ट यह भी बताएंगे कि भारत आत्मनिर्भर पहल के तहत घरेलू रक्षा प्रौद्योगिकियों को कैसे बढ़ावा दे सकता है।
चाणक्य डिफेंस डायलॉग के दूसरे दिन भारतीय अंतरिक्ष क्षेत्र के महत्व पर इसरो के अध्यक्ष डॉ. एस सोमनाथ विशेष संबोधन देंगे। संयुक्त राष्ट्र में भारत की पूर्व स्थायी प्रतिनिधि सुश्री रुचिरा कंबोज बहुध्रुवीय दुनिया में भारत की उभरती स्थिति और राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए मजबूत कूटनीतिक उपायों की आवश्यकता पर अंतर्दृष्टि साझा करेंगी। संवाद का समापन सेना के उप प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल एनएस राजा सुब्रमणि के संबोधन के साथ होगा। यह आयोजन राष्ट्रीय सुरक्षा और विकास पर भारत की रणनीतिक दिशा को प्रभावित करेगा, जिससे राष्ट्र के लिए एक सुरक्षित और समृद्ध भविष्य को आकार देने में मदद मिलेगी।