राष्ट्रपति ने इंदौर को 5वें राष्ट्रीय जल पुरस्कार से किया सम्मानित

भोपाल, 22 अक्टूबर (हि.स.)। स्वच्छता के मामले में लगातार सात बार अपना परचम फहराने वाले देश के सबसे स्वच्छ शहर इंदौर को एक और बड़ी उपलब्धि हासिल हुई है। इंदौर जिले को जल-संचयन और जल-संरक्षण में महत्वपूर्ण योगदान के लिए पश्चिम क्षेत्र के सर्वश्रेष्ठ जिले के राष्ट्रीय जल पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। दिल्ली स्थित विज्ञान भवन में मंगलवार को हुए 5वें राष्ट्रीय जल पुरस्कार-2023 समारोह में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने यह पुरस्कार प्रदान किया। कार्यक्रम में केंद्रीय जल शक्ति मंत्री सीआर पाटिल और राज्यमंत्री वी. सोमन्ना भी उपस्थित थे। पुरस्कार इंदौर के कलेक्टर आशीष सिंह, नगर निगम आयुक्त शिवम वर्मा तथा जिला पंचायत सीईओ सिद्धार्थ जैन ने ग्रहण किया।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने जल-संरक्षण में अग्रणी बनने पर इंदौर को दी बधाई-

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु द्वारा ‘5वें राष्ट्रीय जल पुरस्कार’ से पश्चिम जोन के अंतर्गत इंदौर को सर्वश्रेष्ठ जिले के तौर पर पुरस्कृत करने पर समस्त प्रदेशवासियों को बधाई दी है। उन्होंने अपने संदेश में कहा है कि “मध्यप्रदेश पानी की एक-एक बूंद के उचित उपयोग एवं संरक्षण के लिए प्रतिबद्ध है और ‘जल-संरक्षण’ की दिशा में निरंतर अपनी भूमिका का निर्वाह कर रहा है। आने वाली पीढ़ी के लिए अपनी नैतिक जिम्मेदारी को भली-भाँति समझते हुए हमने प्रदेश में जल-संरचनाओं का जाल बिछाया है, पुरानी जल-संरचनाओं का नवीनीकरण किया है और सिंचाई क्षमता को बढ़ाने का लगातार प्रयत्न किया जा रहा है।

नदियों के जलग्रहण क्षेत्रों में किए गए कई कार्य-

जनसम्पर्क अधिकारी संदीप कपूर ने बताया कि इंदौर जिले में जल-संरक्षण के क्षेत्र में महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल की गई हैं। जिले में अजनार, बालम, चोरल, कराम, मोरल और पातालपानी नदियों के जलग्रहण क्षेत्रों में विभिन्न कार्य किए गए हैं, जिनमें 366 पौध-रोपण कार्य, 216 जल-संचयन कार्य, 60 रिचार्ज संरचनाएं, 90 वाटरशेड उपचार कार्य और 814 जल और मिट्टी संरक्षण कार्य शामिल हैं। इसके अलावा बालम नदी के जलग्रह-क्षेत्र में 5 अमृत सरोवर, 4 फार्म पॉन्ड, 5 चेक डैम और 30 गेबियन जाल संरचनाएं बनाई गई हैं।

पुराने तालाबों का भी किया गया जीर्णोद्धार-

उन्होंने बताया कि जल-संचयन के प्रयासों के अंतर्गत नाला ट्रेंचिंग (गहरीकरण) के लगभग 420 कार्य किए गए हैं, जिससे जल स्तर में वृद्धि हुई है। पुष्कर धरोहर समृद्धि अभियान के तहत 462 पुरानी संरचनाएं जैसे-तालाब, चेक डैम और स्टॉप डैम का जीर्णोद्धार किया गया है, जिससे जल-भंडारण क्षमता में 16 लाख घन मीटर की वृद्धि हुई है और 1500 हेक्टेयर कृषि भूमि के लिए अतिरिक्त सिंचाई सुविधा उपलब्ध हुई है।

एक लाख घरों की छतों पर नागरिकों ने लगाई वर्षा जल संचयन प्रणाली-

जिले में वृहद स्तर पर जल-संचयन संरचनाएं भी निर्मित की गयी हैं, जिसमे 420 फार्म पॉन्ड, 180 पेरकोलेशन टैंक, 100 निस्तारी टैंक और 190 चेक डैम शामिल हैं। इससे जिले में जल-भंडारण क्षमता में 30 लाख घन मीटर की वृद्धि हुई है। लगभग 25 हजार 500 हेक्टेयर क्षेत्र को ड्रिप और स्प्रिंकलर सिंचाई प्रणालियों के तहत लाया गया है, जिससे जिले के लगभग 16 हजार किसान लाभान्वित हुए हैं। जिले में एक लाख घरों की छतों पर नागरिकों द्वारा अपने खर्च पर ही वर्षा जल संचयन प्रणाली स्थापित की गई हैं और 10 स्थानों पर पीज़ोमीटर लगाए गए हैं, जिससे जल स्तर का मूल्यांकन किया जा सके। हरियाली महोत्सव के दौरान 20 लाख पौधे लगाए गए और इंदौर शहरी क्षेत्र में 2 लाख 55 हजार पौधे लगाए गए हैं।

राष्ट्रीय जल पुरस्कारों का उद्देश्य पानी के महत्व के बारे में जागरूकता उत्पन्न करना और स्वच्छ जल के उपयोग के सर्वोत्तम प्रचलन अपनाने के लिए प्रेरित करना है। 5वें राष्ट्रीय जल पुरस्कार में सर्वश्रेष्ठ राज्य, सर्वश्रेष्ठ जिला, सर्वश्रेष्ठ ग्राम पंचायत, सर्वश्रेष्ठ शहरी स्थानीय निकाय, सर्वश्रेष्ठ स्कूल या कॉलेज, सर्वश्रेष्ठ उद्योग, सर्वश्रेष्ठ जल उपयोगकर्ता संघ, सर्वश्रेष्ठ संस्थान और सर्वश्रेष्ठ नागरिक समाज सहित 9 श्रेणियों में संयुक्त विजेताओं सहित 38 विजेताओं को पुरस्कृत किया गया है।

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