शिमला, 19 अक्टूबर (हि.स.)। पूर्व मुख्यमंत्री एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री शान्ता कुमार ने हिमाचल प्रदेश के प्रति पिछले 60 वर्षों से हो रहे अन्याय की ओर ध्यान दिलाया है। शान्ता कुमार ने मुख्यमंत्री सुखविन्द्र सिंह सुक्खू से आग्रह किया है कि वे हिमाचल प्रदेश के प्रमुख नेताओं—जयराम ठाकुर, अनुराग ठाकुर और जगत प्रकाश नड्डा के साथ मिलकर जोगिन्दरनगर की शानन बिजली परियोजना के अधिकार को लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से चर्चा करें।
शान्ता कुमार ने कहा कि यह आवश्यक है कि ये चारों नेता पूरे हिमाचल का प्रतिनिधित्व करते हुए प्रधानमंत्री से मिलें और इस मुद्दे को सर्वोच्च न्यायालय में प्रभावी तरीके से उठाएं। उनका मानना है कि हिमाचल के जल से उत्पन्न बिजली पर राज्य का अधिकार होना चाहिए और इसके लिए सभी नेताओं को एकजुट होकर प्रयास करना चाहिए।
कुमार ने 60 वर्षों से चल रहे इस अन्याय की ओर ध्यान दिलाते हुए कहा कि समय आ गया है कि हिमाचल को उसका हक मिले। उन्होंने कहा कि जबकि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पिछले 10-12 वर्षों से हिमाचल प्रदेश को अपना दूसरा घर मानते हैं, फिर भी राज्य की प्राकृतिक संपत्तियों का सही उपयोग नहीं हो रहा है।
शान्ता कुमार ने शनिवार काे एक बयान में कहा कि जोगिन्दरनगर की 110 मेगावाट की शानन बिजली परियोजना का उदाहरण देते हुए बताया कि इस परियोजना से हिमाचल के पानी से बिजली उत्पन्न होती है, लेकिन इसका अधिकार पंजाब सरकार के पास है। उन्होंने इसे एक भयंकर अन्याय करार दिया और कहा कि ऐसा अन्याय अन्यत्र नहीं देखा गया है।
उन्होंने 1966 के पंजाब पुनर्गठन कानून का उल्लेख करते हुए कहा कि इस कानून में स्पष्ट निर्देश था कि साझा पंजाब की संपत्ति का अधिकार नए प्रदेशों को मिलेगा। इसके अनुसार, शानन बिजली परियोजना को 1966 में हिमाचल को मिलना चाहिए था। उन्होंने 1977 में प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई के साथ इस मुद्दे को उठाने का भी जिक्र किया, जब एक समिति का गठन किया गया था, लेकिन कोई ठोस परिणाम नहीं निकला।
उन्हाेंने कहा कि मण्डी रियासत के साथ अंग्रेजी सरकार से की गई लीज-डीड की अवधि समाप्त हो गई है। उन्होंने जोर देकर कहा कि हर दृष्टि से शानन बिजली परियोजना हिमाचल प्रदेश की संपत्ति होनी चाहिए और इतने वर्षों से हो रहा यह अन्याय दुर्भाग्यपूर्ण है।