वायु गुणवत्ता को रोकने के लिए पूरी गंभीरता के साथ जिम्मेदारी निभाने की जरूरतः जस्टिस श्रीवास्तव

नई दिल्ली, 18 अक्टूबर (हि.स.)। दिल्ली में बढ़ते वायु प्रदूषण का जिक्र करते हुए राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (एनजीटी) के अध्यक्ष जस्टिस प्रकाश श्रीवास्तव ने शुक्रवार को अपील की कि हम सभी को गिरती वायु गुणवत्ता को रोकने के लिए पूरी गंभीरता के साथ इस जिम्मेदारी का निर्वहन करना चाहिए।

शुक्रवार को एनजीटी के स्थापना दिवस पर आयोजित एक कार्यक्रम में जस्टिस श्रीवास्तव ने कहा कि वायु गुणवत्ता (एक्यूआई) सीमा को पार कर गई है और ग्रैप लगाया गया है। पिछले वर्ष सर्दियों के मौसम में हमने भयंकर वायु प्रदूषण देखा था। इसलिए जागरूक नागरिक होने के नाते हम सभी की यह जिम्मेदारी है कि हम वायु गुणवत्ता से संबंधित योगदान देने वाले और उसे कम करने वाले कारकों के बारे में जागरुकता फैलाएं। हम सभी को गिरती वायु गुणवत्ता को रोकने के लिए पूरी गंभीरता के साथ इस जिम्मेदारी का निर्वहन करना चाहिए।

उन्होंने कहा कि भविष्य की ओर देखते हुए न्यायाधिकरण का मिशन नागरिकों के स्वच्छ और स्वस्थ पर्यावरण के अधिकार को बनाए रखना है। एनजीटी राष्ट्र के पर्यावरणीय परिदृश्य पर स्थायी प्रभाव सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है।

एजीटी के अध्यक्ष ने कहा कि आज दुनिया के देश पर्यावरण क्षरण और परिवर्तन के एक महत्वपूर्ण दौर से गुजर रहे हैं। जलवायु परिवर्तन, ग्लोबल वार्मिंग, बढ़ते प्रदूषण और जैव विविधता के नुकसान से संबंधित चुनौतियां ऐसी हैं जिन पर तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है। इन मुद्दों से तुरंत निपटने की आवश्यकता है। एनजीटी इन चुनौतियों का समाधान करने के लिए प्रतिबद्ध है।

उन्होंने कहा कि हम प्रदूषण के बढ़ते स्तर का भी सामना कर रहे हैं, चाहे वह वायु प्रदूषण हो या जल प्रदूषण जिसका सार्वजनिक स्वास्थ्य और जैव विविधता पर दूरगामी प्रभाव पड़ता है। न्यायाधिकरण प्रदूषण फैलाने वालों के खिलाफ कार्रवाई कर रहा है और पर्याप्त उपचारात्मक उपाय सुनिश्चित कर रहा है।

उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय हरित अधिकरण अधिनियम, 2010 के प्रावधानों के अनुसार, एनजीटी की स्थापना 18 अक्टूबर 2010 को की गई थी।

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