नई दिल्ली, 17 अक्टूबर (हि.स.)। घरेलू शेयर बाजार गुरुवार को एक बार फिर बड़ी गिरावट का शिकार हो गया। मजबूत शुरुआत करने के बावजूद सेंसेक्स आज ऊपरी स्तर से 875 अंक से ज्यादा लुढ़क गया। इसी तरह निफ्टी भी ऊपरी स्तर से करीब 300 अंक टूट गया। बाजार में मची भगदड़ के कारण देखते ही देखते निवेशकों को 6 लाख करोड़ रुपये से अधिक की चपत लग गई। मार्केट एक्सपर्ट्स का मानना है कि आज बाजार में आई इस जोरदार गिरावट के लिए विदेशी निवेशकों की चौतरफा बिकवाली, कंपनियों के कमजोर तिमाही नतीजे, महंगाई दर में तेजी के संकेत और बाजार में सकारात्मक खबर (ट्रिगर) के अभाव को जिम्मेदार माना जा सकता है।
राठी सिक्योरिटीज के सीईओ जयवीर राठी के अनुसार अक्टूबर के महीने में विदेशी निवेशकों ने लगातार बिकवाली करके बाजार पर दबाव की स्थिति बना दी है। विदेशी निवेशकों ने इस महीने के हर कारोबारी दिन में लगातार बिकवाली करने की रणनीति बनाई है। अक्टूबर में अभी तक विदेशी निवेशक 67,310.80 करोड़ रुपये की बिकवाली कर चुके हैं। कोराना काल में शेयर बाजार में मची भगदड़ के बाद पहली बार विदेशी निवेशकों ने किसी एक महीने में इतनी अधिक बिकवाली की है।
राठी का कहना है कि चीन की सरकार ने हाल में ही राहत पैकेज का ऐलान करके अपने स्टॉक मार्केट को जबरदस्त बूस्ट दिया है। इसकी वजह से विदेशी निवेशक दुनिया के ज्यादातर स्टॉक एक्सचेंजों में बिकवाली करके अपना पैसा चीन के स्टॉक एक्सचेंज में लगाने में लगे हुए हैं। भारतीय शेयर बाजार से विदेशी निवेशक इस वजह से भी अपने पैसे की निकासी करने में लगे हुए हैं। इसके साथ ही मिडिल ईस्ट में जारी तनाव और घरेलू शेयर बाजार का ऊंचा वैल्यूएशन भी विदेशी निवेशकों को मुनाफा वसूली करके अपना पैसा निकालने के लिए प्रेरित कर रहा है।
राठी की तरह ही धामी सिक्योरिटीज के वाइस प्रेसिडेंट प्रशांत धामी भी विदेशी निवेशकों की बिकवाली को शेयर बाजार की गिरावट का एक प्रमुख कारण बताते हैं। हालांकि, उनका ये भी कहना है कि घरेलू बाजार में लिस्टेड कंपनियों के कमजोर तिमाही नतीजों की वजह से भी स्टॉक मार्केट पर दबाव की स्थिति बनी है। अभी तक ज्यादातर कंपनियों के तिमाही नतीजों ने शेयर बाजार को निराश किया है। खासकर कई हेवीवेट कंपनियों के नतीजे से भी शेयर बाजार को निराशा ही मिली है। इसकी वजह से भी मार्केट सेंटीमेंट्स कमजोर हुए हैं।
प्रशांत धामी का कहना है कि शेयर बाजार का रुख बदलने के लिए किसी बड़ी सकारात्मक और उत्साहजनक खबर, जिसे शेयर मार्केट की भाषा में ट्रिगर कहा जाता है, की जरूरत होती। इस मोर्चे पर भी निवेशकों को निराशा का ही सामना करना पड़ा है। हरियाणा विधानसभा चुनाव में बीजेपी की जीत के बाद से अभी तक ऐसी कोई खबर नहीं आई है, जिससे शेयर बाजार का मूड बदल सके।
इसके अलावा महंगाई दर में तेजी के रुख ने भी शेयर बाजार के मूड पर काफी अधिक असर डाला है। देश की खुदरा महंगाई दर में एक बार फिर तेजी का रुख बनता हुआ नजर आ रहा है। सितंबर महीने के दौरान खुदरा महंगाई दर बढ़ कर 5.5 प्रतिशत के स्तर पर आ गई, जो पिछले 9 महीने का सबसे ऊंचा स्तर है। इससे पहले अगस्त में खुदरा महंगाई दर 3.7 प्रतिशत के स्तर पर थी लेकिन खाने पीने से जुड़ी चीजों के दाम में हुई जोरदार बढ़ोतरी के कारण महंगाई दर में एक बार फिर तेजी का रुख बन गया है। जानकारों का कहना है कि अगर महंगाई दर पर काबू नहीं पाया गया, तो इसका असर आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति की अगली बैठक पर भी पड़ सकता है और ब्याज दरों में कटौती की बात एक बार फिर टल सकती है। इसका असर प्रत्यक्ष और परोक्ष दोनों तरीकों से देश की अर्थव्यवस्था और स्टॉक मार्केट दोनों पर ही पड़ेगा।