नई दिल्ली, 17 अक्टूबर (हि.स.)। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को एक अहम फैसला सुनाते हुए नागरिकता अधिनियम की धारा 6ए की संवैधानिक वैधता बरकरार रखी है। भारतीय जनता पार्टी ने सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का स्वागत करते हुए इसे ऐतिहासिक फैसला बताया है।
पूर्व केंद्रीय विधि मंत्री एवं भाजपा सांसद रविशंकर प्रसाद ने गुरुवार को नई दिल्ली में पत्रकारों से कहा कि आज सुप्रीम कोर्ट ने नागरिकता अधिनियम की धारा 6-ए की संवैधानिक वैधता पर एक बहुत ही ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। यह प्रावधान असम समझौते के मद्देनजर भारतीय नागरिकता अधिनियम में जोड़ा गया था। इस प्रावधान का मूल यह है कि जो लोग 1966 तक असम में आए हैं, उन्हें भारत का नागरिक माना जाएगा और जो लोग 01 जनवरी 1966 और 25 मार्च 1971 के बीच आए हैं, वे सभी आवश्यक नियमों के अनुपालन के अधीन होंगे। उनको निश्चित रूप से अवैध अप्रवासी के रूप में माना जाएगा। यह प्रावधान तब लाया गया था जब राजीव गांधी प्रधानमंत्री थे।
उल्लेखनीय है कि पिछले साल 12 दिसंबर को सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा था। सीजेआई ने कहा था कि असम समझौता बढ़ते अप्रवासन के मुद्दे का राजनीतिक समाधान था वहीं 6-ए विधायी समाधान था। नागरिकता अधिनियम की धारा 6-ए के मुताबिक जो बांग्लादेशी अप्रवासी 01 जनवरी 1966 से 25 मार्च 1971 तक असम आए, वो भारतीय नागरिक के तौर पर ख़ुद को रजिस्टर करा सकते हैं लेकिन 25 मार्च 1971 के बाद असम आने वाले विदेशी भारतीय नागरिकता के पात्र नहीं हैं।