नेपाल : माओवादी सहित 15 वामपंथी दलों ने की सरकार से यूएन में इजराइल के खिलाफ वोट देने की मांग

काठमांडू, 16 अक्टूबर (हि.स.)। नेपाल में प्रतिपक्ष में रहे माओवादी पार्टी सहित 15 राजनीतिक दलों और नागरिक नेताओं ने फिलिस्तीन और लेबनान पर इज़राइल के हमलों की निंदा करते हुए सरकार से फिलिस्तीन और लेबनान के लोगों के पक्ष में वोट करने का भी अनुरोध किया है।

सीपीएन (मसाल) के महासचिव मोहन विक्रम सिंह, सीपीएन (माओवादी ) के महासचिव देव गुरुंग, यूनाइटेड सोशलिस्ट के महासचिव घनश्याम भुसाल, नागरिक आंदोलन के संजीव उप्रेती, सामाजिक शोधकर्ता मीना पौडेल समेत 15 लोगों ने हस्ताक्षर कर संयुक्त बयान जारी किया है।

बुधवार को जारी संयुक्त बयान में कहा गया है कि इजराइल का हमला 21वीं सदी का सबसे बड़ा जातीय नरसंहार है। बयान मे इजराइल के हमले को राज्य-नियोजित हिंसा की संज्ञा देते हुए इसकी कड़ी निंदा की गई है। इस बयान में इजराइल के हमले को रोकने की मांग भी की गई है। उन्होंने इस हिंसा के ख़िलाफ़ फ़िलिस्तीनी और लेबनानी लोगों के पक्ष में देश की राय व्यक्त करने के लिए भी सरकार का ध्यान आकर्षित किया है। बयान में कहा गया है कि सरकार को संयुक्त राष्ट्र में इजराइल के खिलाफ और लेबनान तथा फिलिस्तीन के पक्ष में मतदान करना चाहिए।

संयुक्त बयान में नेपाली नागरिकों से इजराइल, गाजा और लेबनान न जाने को कहा गया है। सरकार से इजराइल और लेबनान में नेपालियों के जीवन की रक्षा के लिए आवश्यक कदम उठाने की भी अपील की गई है। बयान में कहा गया है कि संघर्ष के कारण लाखों स्थानीय लोग फ़िलिस्तीनी भूमि से विस्थापित हो गए हैं। इन देशों में रहने वाले नेपाली समुदाय से संघर्ष प्रभावित क्षेत्रों में न जाने और जो लोग गए हैं उन्हें बचाने और वापस लाने का आह्वान सरकार से किया गया है।

उन्होंने चिंता व्यक्त की कि इजराइल अब हिजबुल्लाह के हमले के बहाने लेबनान पर हमला करने के लिए आगे बढ़ा है और इसके बाद अब वह ईरान सहित पूरे पश्चिम एशिया को संघर्ष में धकेल देगा। उनका आरोप है कि इजराइल की यहूदी सरकार संयुक्त राज्य अमेरिका की शह और समर्थन पर फिलिस्तीनी भूमि को बलपूर्वक छीन रही है, उसे छोटा कर रही है और योजनाबद्ध तरीके से गंभीर उत्पीड़न करते हुए फिलिस्तीनी लोगों को उनकी ही भूमि से विस्थापित कर रही है।

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