-भारतीय रेल के 10 हजार इंजनों को अत्यधुनिक कवच 4.0 से किया जाएगा लैस
गुवाहाटी, 15 अक्टूबर (हि.स.)। एक बड़ी उपलब्धि के रूप में भारतीय रेल अपने नेटवर्क में 10 हजार इंजनों पर स्वदेशी स्वचालित ट्रेन सुरक्षा प्रणाली कवच 4.0 स्थापित करने के लिए पूरी तरह तैयार है। हाल ही में, सफल परीक्षण के बाद, पश्चिम मध्य रेलवे में कोटा और सवाई माधोपुर के बीच 108 किलोमीटर सेक्शन पर कवच 4.0 लगाया गया। इस उपलब्धि के बाद, भारतीय रेल अब अपने सभी नए परियोजनाओं में मिशन मोड में कवच 4.0 स्थापित करेगा। साथ ही, उन सभी इंजनों, जिसमें कवच के पुराने संस्करण स्थापित किए गए थे, उसे अत्यधुनिक कवच 4.0 से प्रतिस्थापित किया जाएगा। मालदा टाउन से डिब्रूगढ़ तक पूर्वोत्तर सीमा रेलवे (पूसीरे) में लगभग 1966 किमी रूट को कवच के कार्यान्वयन के लिए चिह्नित किया गया है।
पूसीरे के सीपीआरओ कपिंजल किशोर शर्मा ने आज बताया है कि ‘कवच’- भारतीय उद्योग के सहयोग से अनुसंधान अभिकल्प एवं मानक संगठन (आरडीएसओ) द्वारा विकसित एक स्वदेशी स्वचालित ट्रेन संरक्षा प्रणाली है, जिसका उद्देश्य ट्रेनों के परिचालन में संरक्षा को बढ़ावा देना है। कवच का उद्देश्य खतरा (लाल) सिग्नल को पार करने से ट्रेनों को रोककर सुरक्षा प्रदान करना और टकराव से बचना है। यदि चालक गति प्रतिबंधों के अनुसार ट्रेन को नियंत्रित करने में विफल रहता है, तो यह ट्रेन ब्रेकिंग सिस्टम को स्वचालित रूप से सक्रिय कर देता है। कवच को स्वतंत्र सुरक्षा निर्धारक द्वारा उच्चतम स्तर की सेफ्टी इंटेग्रिटी लेवल– एसआईएल 4 के लिए प्रमाणित किया गया है और यह अपनी गैर-एसआईएल विशेषताओं के माध्यम से ब्लॉक सेक्शन और स्टेशनों पर रनिंग लाइनों पर ट्रेन टकराव की संभावना को कम करता है। इसके साथ ही, कवच को अन्य देशों द्वारा भी अपनाए जाने की संभावना है।
इससे पहले 15 अप्रैल 2024 को भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने ट्रेनों में कवच के कार्यान्वयन के लिए भारतीय रेल द्वारा किए गए पहल की सराहना की थी। पिछले कुछ समय से भारतीय रेल ट्रेन दुर्घटनाओं को कम करने के लिए कई कदम उठा रहा है। कवच 4.0 को शुरू कर भारतीय रेल अपने यात्रियों के लिए रेल यात्रा को और भी सुरक्षित बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। यह कदम देश भर के रेल नेटवर्क को मजबूत और रेल नेटवर्क में संरक्षा उपायों को बढ़ावा देने की एक बड़ी योजना का हिस्सा है।