फारस की खाड़ी में तैनात भारतीय जहाज बहरीन और यूएई पहुंचे

  • भारत से मजबूत रक्षा संबंधों का संकेत, समुद्री सुरक्षा सहयोग को मिलेगा बढ़ावा

नई दिल्ली, 13 अक्टूबर (हि.स.)। फारस की खाड़ी में लंबी दूरी की प्रशिक्षण तैनाती जारी रखते हुए भारत के दो जहाज बहरीन के मनामा बंदरगाह पर और एक जहाज यूएई के पोर्ट राशिद पर पहुंच गए हैं। बंदरगाह पर व्यावसायिक बातचीत, क्रॉस शिप विजिट, संयुक्त प्रशिक्षण सत्र, योग सत्र, बैंड संगीत कार्यक्रम, मैत्रीपूर्ण खेल कार्यक्रम, सामाजिक संपर्क और सामुदायिक कल्याण गतिविधियों की योजना बनाई गई है। यह यात्रा बहरीन और यूएई के साथ भारत के बढ़ते रक्षा संबंधों का संकेत है, साथ ही समुद्री सुरक्षा सहयोग और नौसेनाओं के बीच बेहतर तालमेल को बढ़ावा देती है।

भारतीय नौसेना ने प्रथम प्रशिक्षण स्क्वाड्रन (1 टीएस) के अपने जहाज तीर और शार्दुल तथा भारतीय तटरक्षक बल के जहाज वीरा को लंबी दूरी की प्रशिक्षण तैनाती पर भेजा है। तीनों भारतीय जहाजों ने 9 अक्टूबर को मस्कट, ओमान की यात्रा पूरी कर ली। चार दिवसीय यात्रा के दौरान भारतीय नौसेना ने विभिन्न मोर्चों पर ओमान की रॉयल नेवी के साथ बातचीत की, जिससे दोनों समुद्री देशों के बीच संबंध और गहरे बने तथा मैत्री के सेतु मजबूत हुए। आईएनएस तीर एवं आईसीजीएस वीरा 12 अक्टूबर को बहरीन के मनामा बंदरगाह पर पहुंच गए हैं।

भारतीय नौसेना समुद्री संचालन और सर्वोत्तम साझा प्रथाओं के विभिन्न क्षेत्रों में रॉयल बहरीन नौसेना बलों (आरबीएनएफ) के साथ जुड़ने के लिए तैयार है। समुद्री भागीदारी अभ्यास की योजना बनाने और उसे संचालित करने के लिए दोनों नौसेनाओं की परिचालन टीमों के बीच समन्वय बैठक भी निर्धारित है। सहयोगात्मक जुड़ाव के हिस्से के रूप में भागीदारों के साथ प्रशिक्षण बातचीत और क्षेत्र में समुद्री सुरक्षा की पुष्टि भी इस यात्रा के दौरान होगी। भारतीय नौसेना के समुद्री प्रशिक्षु रॉयल बहरीन नौसेना की विभिन्न प्रशिक्षण सुविधाओं और प्रतिष्ठानों का दौरा करेंगे।

लंबी दूरी पर तैनात आईएनएस शार्दुल दुबई के

पोर्ट राशिद

पहुंचा है। भारतीय दूतावास में रक्षा अताशे और यूएई नौसेना के अधिकारियों ने जहाज का स्वागत किया। यात्रा के दौरान भारतीय जहाज का चालक दल यूएई नौसेना के साथ कई प्रशिक्षण गतिविधियों और बंदरगाह पर बातचीत करेगा। बहरीन और यूएई में भारतीय जहाज़ों की तैनाती का उद्देश्य न केवल समुद्री प्रशिक्षुओं को विभिन्न नौसेना प्रशिक्षण गतिविधियों से परिचित कराना है, बल्कि सामाजिक-राजनीतिक, सैन्य और समुद्री संबंधों को भी आगे बढ़ाना है।

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