कामाख्या धाम में धूमधाम से मनाया गया अष्टमी एवं नवमी का उत्सव

गुवाहाटी, 11 अक्टूबर (हि.स.)। असम की राजधानी गुवाहाटी के नीलाचल पहाड़ पर स्थित कामाख्या मंदिर में पूरे देश के साथ दुर्गा पूजा का उत्सव धूमधाम से मनाया जा रहा है। हालांकि, यहां की दुर्गा पूजा बाकी दुर्गा पूजा से काफी अलग है। कामाख्या मंदिर में दुर्गा पूजा कृष्णा नवमी से शुरू होती है औऱ शुक्ल पक्ष की नवमी के दिन समाप्त होती है।

यहां पर पंद्रह दिनों तक दुर्गा पूजा का आयोजन होता है। साथ ही नवरात्रि का उत्सव भी बड़े ही धूमधाम से यहां पर मनाया जाता है। पूजा के समय भैंसा, बकरी, कबूतर आदि की बलि भी दी जाती है।

इस वर्ष भी शुक्रवार को आज अष्टमी और नवमी तिथियां यहां धूमधाम से मनायी गयी। हिंदू धर्म में शारदीया नवरात्र का विशेष महत्व है। नवरात्र के दो दिन बहुत ही खास माने जाते हैं जिसमें अष्टमी और नवमी तिथि है। अष्टमी तिथि के दिन माता महागौरी की उपासना की जाती है साथ ही नवमी तिथि को माता सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है।

पंचांग के अनुसार अष्टमी तिथि इस बार गुरुवार को 12 के बाद शुरू हो गई थी जिसका समापन शुक्रवार की दोपहर 12 बजे के बाद हुआ तथा नवमी तिथि शुरू हो गई।

आज महाष्टमी का पूजन किया गया साथ ही महानवमी का भी पूजन किया गया। इस विशेष अवसर पर कामाख्या धाम में भी बलि विधान के साथ धूमधाम से अष्टमी और नवमी तिथि का पालन मनाया गया।

उल्लेखनीय कि कामाख्या धाम शक्ति पीठ है। यहां बलि देने की काफी पुरानी परंपरा है। इसके मद्देनजर पूरे नवरात्र के दौरान 38 भैंसों के साथ ही बकरी, बतख, कबूतर, कुम्हड़ा आदि की बलि दी गयी। इस समय कामाख्या धाम में दूर-दूर से लोग मां के दर्शन के लिए आते हैं इसलिए भक्तों की भारी भीड़ लगी रहती है। विभिन्न स्थानों से साधु, संत एवं श्रद्धालु मां के दर्शन के लिए आते हैं, चंडी पाठ करते हैं। दुर्गा पूजा पर नवरात्र के समय कामाख्या धाम में कुमारी पूजन किया जाता है। कुमारी पूजन का यहां विशेष महत्व है।

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