कोलकाता, 08 अक्टूबर (हि.स.)। आरजी कर मेडिकल कॉलेज में डॉक्टर छात्रा की बलात्कार और हत्या के मामले में गिरफ्तार मुख्य आरोपित सिविक वाॅलंटियर संजय राय ने मंगलवार को कोर्ट में कहा कि उसने कुछ भी नहीं किया और वह घटना के बारे में कुछ भी नहीं जानता। आरोपित ने यह बयान सीबीआई द्वारा चार्जशीट की प्रतिलिपि प्राप्त करने के बाद दिया। सोमवार को सीबीआई ने सियालदह कोर्ट में मामले की चार्जशीट दाखिल की थी, जिसकी एक प्रति मंगलवार को आरोपित को सौंपी गई।
मंगलवार को सिविक वाॅलंटियर संजय राय को सियालदह कोर्ट में पेश किया गया। कोर्ट में आरोपित ने कहा, “मैं कुछ कहना चाहता हूँ।” इसके बाद उसे कटघरे में बुलाया गया, जहां उसने कहा, “मैं कुछ कहना चाहता हूं, पिछली बार भी नहीं कह पाया था। अगर कुछ नहीं कहा, तो सारे आरोप मेरे ऊपर ही आ जाएंगे” न्यायाधीश ने उसे आश्वासन दिया कि वह जो भी कहना चाहता है, कह सकता है।
आरोपित ने आगे कहा, “हुजूर, मैंने कुछ नहीं किया, इस घटना के बारे में मुझे कुछ भी नहीं पता।” इसके बाद आरोपित को अतिरिक्त जिला और सत्र न्यायाधीश के समक्ष पेश किया गया।
सीबीआई के वकील ने मामले की अगली सुनवाई ‘इन-कैमरा’ (गोपनीय) करने की मांग की। वहीं, आरोपित के वकील ने कोर्ट में दलील दी कि सीबीआई की चार्जशीट में कुछ तस्वीरों का उल्लेख किया गया है, लेकिन उन्हें अभी तक वे तस्वीरें नहीं दी गई हैं। सीबीआई की तरफ से बताया गया कि कुछ तस्वीरें उन्हें बाद में दी जाएंगी, जबकि कुछ की फोरेंसिक जांच चल रही है। आरोपित के वकील ने घटनास्थल का निरीक्षण करने की भी मांग की, जिसके लिए न्यायाधीश ने लिखित आवेदन देने को कहा।
सीबीआई ने सोमवार को इस मामले में पहली चार्जशीट दायर की, जिसमें मुख्य आरोपित के रूप में सिविक वाॅलंटियर संजय राय का नाम शामिल है। उस पर भारतीय न्याय संहिता की धारा 64 (बलात्कार), 66 (संवेदनहीन स्थिति में बलात्कार) और 103 (1) (हत्या) के तहत आरोप लगाए गए हैं। चार्जशीट की एक प्रति सरकारी वकील ने आरोपित के वकील को सौंपी, जिसे आरोपित ने हस्ताक्षर करके स्वीकार किया। इसके बाद आरोपित ने कोर्ट में कहा कि उसे इस मामले की कोई जानकारी नहीं है।
घटना नौ अगस्त की रात की है, जब आरजी कर अस्पताल के आपातकालीन विभाग के सेमिनार रूम में एक डॉक्टर का शव मिला था। उन पर बलात्कार और हत्या का आरोप है। उसी रात कोलकाता पुलिस ने आरोपित को सॉल्टलेक के फोर्थ बटालियन बैरक से गिरफ्तार किया था। बाद में, कलकत्ता हाई कोर्ट के आदेश पर मामले की जांच सीबीआई को सौंपी गई।
सीबीआई ने आरोपित का पॉलीग्राफ टेस्ट भी कराया था, जिसमें आरोपित से 10 सवाल पूछे गए थे, लेकिन सीबीआई को उसके जवाबों से संतुष्टि नहीं मिली। इसके बाद एजेंसी ने नार्को टेस्ट कराने की योजना बनाई थी, लेकिन नार्को टेस्ट के लिए आरोपित की सहमति जरूरी होती है, जो उसने नहीं दी।