– गुब्बारे को 55 हजार फीट से अधिक की ऊंचाई पर मिसाइल से मार गिराया
नई दिल्ली, 06 अक्टूबर (हि.स.)। भारतीय वायु सेना ने राफेल लड़ाकू विमान का उपयोग करके पूर्वी वायु कमान के क्षेत्र में उच्च ऊंचाई पर जासूसी गुब्बारों को मार गिराने की क्षमता हासिल की है। यह ऑपरेशन 55 हजार फीट से अधिक की ऊंचाई पर हुआ, जिसने चीनी जासूसी गुब्बारों के खिलाफ अमेरिकी प्रयासों की तरह भारतीय रणनीतिक क्षमताओं को उजागर किया। गुब्बारे को कुछ पेलोड के साथ हवा में छोड़ा गया और फिर एक इन्वेंट्री मिसाइल का उपयोग करके इसे मार गिराया गया।
दरअसल, 2023 की शुरुआत में अमेरिका ने दक्षिण कैरोलिना के तट पर एक चीनी जासूसी गुब्बारे को मार गिराने के लिए पांचवीं पीढ़ी के एफ-22 रैप्टर लड़ाकू जेट का इस्तेमाल किया था। उसी समय से भारतीय वायु सेना बहुत ऊंचाई पर उड़ने वाले ऐसे गुब्बारों से उत्पन्न चुनौती से निपटने के मुद्दे पर चर्चा कर रही थी और पिछले साल अमेरिकी वायु सेना के साथ भी चर्चा की थी। रक्षा सूत्रों ने बताया कि भारतीय वायु सेना ने कुछ महीने पहले पूर्वी वायु कमान के जिम्मेदारी वाले क्षेत्र में एक चीनी जासूसी गुब्बारे जैसे लक्ष्य को मार गिराने के लिए राफेल लड़ाकू जेट का इस्तेमाल किया था। वायु सेना ने आकार में अपेक्षाकृत छोटे गुब्बारे का इस्तेमाल किया, जो चीनी जासूसी गुब्बारे से छोटा था।
भारतीय वायु सेना के इस ऑपरेशन से जुड़े एक अधिकारी ने बताया कि गुब्बारे को कुछ पेलोड के साथ हवा में छोड़ा गया और फिर 55 हजार फीट से अधिक की ऊंचाई पर एक इन्वेंट्री मिसाइल का उपयोग करके इसे मार गिराया गया। भारतीय वायु सेना ने इस क्षमता को तब साबित किया जब वर्तमान प्रमुख एयर चीफ मार्शल एपी सिंह उप वायु सेना प्रमुख के रूप में समग्र संचालन के प्रभारी थे। वर्तमान उप प्रमुख एयर मार्शल एसपी धारकर उस समय पूर्वी वायु कमांडर थे। तत्कालीन महानिदेशक एयर ऑपरेशंस एयर मार्शल सूरत सिंह अब पूर्वी वायु कमांडर हैं।
चीनी जासूसी जैसा गुब्बारा भारत में अंडमान और निकोबार द्वीप समूह क्षेत्र में देखा गया था और ऐसा माना जाता है कि गुब्बारों का उपयोग एक बड़े क्षेत्र में निगरानी करने के लिए किया जाता है। हालांकि, इसे देखे जाने के तीन-चार दिन बाद तक इसके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई, जिसके बाद यह दूर चला गया। यह भी माना जाता है कि चीनी जासूसी गुब्बारों में किसी प्रकार की स्टीयरिंग प्रणाली होती है और उनका उपयोग अपने हित वाले क्षेत्रों में स्थिर रहने के लिए किया जा सकता है। वायु सेना भविष्य में इस तरह के खतरों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए अपनी मानक संचालन प्रक्रिया भी तैयार कर रही है।