नई दिल्ली, 5 अक्टूबर (हि.स.)। केंद्रीय नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री प्रल्हाद जोशी रविवार को जर्मनी की तीन दिवसीय यात्रा पर रवाना होंगे। इस यात्रा के दौरान वे दो दिवसीय हैम्बर्ग स्थिरता सम्मेलन में भाग लेंगे। वह सतत विकास, हरित हाइड्रोजन, कम लागत वाले वित्त एवं संपूर्ण नवीकरणीय ऊर्जा मूल्य शृंखला में सहयोग को बढ़ावा देने के लिए जर्मनी और ब्रिटेन के मंत्रियों साथ द्विपक्षीय वार्ता भी करेंगे। इस दौरे का उद्देश्य दोनों देशों के संबंधों को मजबूत करना और वैश्विक स्तर पर नवीकरणीय ऊर्जा के विस्तार को बढ़ाना है।
केंद्रीय नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय ने शनिवार को बताया कि सतत विकास और नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में भारत के सहयोग को मजबूत करने के लिए 6 अक्टूबर से केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी जर्मनी की तीन दिवसीय यात्रा पर जाएंगे। इस दौरान 7 एवं 8 अक्टूबर को हैम्बर्ग स्थिरता सम्मेलन में भाग लेंगे और मंत्रियों और उद्योग जगत के नेताओं से मिलेंगे। जोशी हैम्बर्ग स्थिरता सम्मेलन में ग्रीन हाइड्रोजन, कम लागत वाले वित्त और संपूर्ण अक्षय ऊर्जा मूल्य शृंखला घटकों में सहयोग को बढ़ावा देने के लिए द्विपक्षीय बैठकों की एक शृंखला भी आयोजित करेंगे।
जोशी सम्मेलन में भाग लेनेवालों के साथ जर्मनी, यूनाइटेड किंगडम के मंत्रियों व अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक करेंगे। विगत सितंबर में आयोजित री-इन्वेस्ट 2024 के दौरान दोनों देशों ने अक्षय ऊर्जा में निवेश के लिए भारत-जर्मनी प्लेटफॉर्म लॉन्च किया है। यह मंच पूंजी की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए और अधिक व्यावसायिक अवसर और नए रास्ते बनाने, प्रौद्योगिकी हस्तांतरण का समर्थन करने और दुनिया भर में अक्षय ऊर्जा में नवीन तकनीकी समाधानों के विकास को बढ़ाने में मदद करेगा।
भारत ने 2030 तक गैर-जीवाश्म ईंधन आधारित ऊर्जा स्रोतों से 40 प्रतिशत संचयी विद्युत शक्ति स्थापित क्षमता के अपने एनडीसी लक्ष्य को निर्धारित समय से नौ साल पहले 2021 में हासिल कर लिया था। इसके साथ ही भारत 2030 तक गैर-जीवाश्म ईंधन स्रोतों से 50 प्रतिशत संचयी विद्युत शक्ति स्थापित क्षमता प्राप्त करने के अपने एनडीसी लक्ष्य को पूरा करने की दिशा में आगे बढ़ रहा है।
मंत्रालय के मुताबिक भारत द्वारा ऊर्जा परिवर्तन के प्रयासों से अक्षय ऊर्जा क्षेत्र में निवेश और रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। भारत अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन के माध्यम से अक्षय ऊर्जा के विकास और परिनियोजन के लिए अंतरराष्ट्रीय प्रयासों का नेतृत्व कर रहा है और स्थिरता सम्मेलन की यह यात्रा वैश्विक ऊर्जा परिवर्तन के लिए भारत के प्रयासों को और गति प्रदान करेगी।