नई दिल्ली, 5 अक्टूबर (हि.स.)। विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने देशवासियों को उन ताकतों से आगाह किया जो वोटबैंक की राजनीति के कारण विघटनकारी राजनीति को बढ़ावा दे रही हैं। उन्होंने कहा कि विघटनकारी राजनीति से देश को भारी कीमत चुकानी पड़ सकती है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय एकीकरण के जनक सरदार पटेल के दिखाए रास्ते पर चलकर इन चुनौतियों का सामना किया जा सकता है।
डॉ. जयशंकर ने नई दिल्ली में शनिवार को आयोजित शासन व्यवस्था पर सरदार पटेल स्मृति व्याख्यान में कहा कि एक लोकतांत्रिक समाज में बहस और विचार-विमर्श का निश्चित स्थान है लेकिन इसका लक्ष्य समझदारी और एक राय पर पहुंचना होना चाहिए। लोकतंत्र की इस व्यवस्था को राष्ट्रवाद के खिलाफ नहीं खड़ा किया जाना चाहिए। हमें राष्ट्रीय भावना और एकीकरण को लगातार मजबूत करना चाहिए ।
उन्होंने कहा कि इतिहास से हमें सबक मिलता है कि वोटबैंक पर आधारित सोच के कारण विघटनकारी राजनीति को बढ़ावा मिलता है। ऐसी राजनीति को देश की मुख्यधारा में लाए जाने की हमें भारी कीमत चुकानी पड़ी है। अतीत की तरह आज भी ऐसी शक्तियां सक्रिय हैं जो विभाजन और कमजोर करने वाली गतिविधियों में लगी हैं। यह ताकतें संकीर्णता पर आधारित पहचान तथा विभाजित निष्ठाओं की वकालत करती हैं। आंतरिक विभाजन और स्वार्थी एजेंडे ने हमारे देश को बहुत नुकसान पहुंचाया है। इसका दुनिया ने अपने हितों के लिए बार-बार फायदा उठाया है।
विदेश मंत्री ने कहा कि सरदार पटेल का हमेशा इस बात पर जोर रहा है कि हमारी नीति यथार्थ पर आधारित होनी चाहिए। वे मानते थे कि वैश्विक शक्ति संरचना की वास्तविकताओं को पहचाना जाना चाहिए और लाभ प्राप्त करने के लिए उन्हें उचित रूप से संभाला जाना चाहिए। वोट बैंक की राजनीति के चलते सरदार पटेल इजराइल के साथ संबंधों को आगे बढ़ाने की अनिच्छा से परेशान थे। आज सौभाग्य से हमने उस अनिच्छा को बदल दिया है।
विदेश मंत्री डॉ. जयशंकर ने आजादी के बाद की परिस्थितियों और वर्तमान स्थिति की तुलना करते हुए कहा कि अब सरकार समान चुनौतियों को कूटनीतिक भागीदारी सहित अधिक मेहनतकश और केंद्रित रवैए के साथ हैंडल कर रही है। सरदार पटेल निश्चित रूप से इस बात की सराहना करते कि उनके व्यक्तित्व में समाहित एकीकृत निर्णय लेने की प्रक्रिया अब तेजी से हमारे सिस्टम में अंतर्निहित हो रही है।
विदेश मंत्री ने वर्तमान सरकार के प्रयासों का उल्लेख करते हुए कहा कि पिछले दशक में हमारा सीमा अवसंरचना व्यय पांच गुना बढ़ गया है। एक सख्त राजनीतिक और सैन्य दृष्टिकोण है। इससे सुनिश्चित किया जा रहा है कि पूरा तंत्र एक साथ चलता रहे। आज देशों के साथ संबंधों के अन्य पहलुओं को भी इस तरह से समन्वित किया जाता है कि हमारे राष्ट्रीय सुरक्षा हितों की बेहतरी हो।