– सह-जिलों के निर्माण से लोगों के लिए ‘जीवन आसान’ होगा: डॉ. सरमा
– सह-जिलों से असम के जिला आधारित विकास मॉडल को गति मिलेगी: सीएम
गुवाहाटी, 05 अक्टूबर (हि.स.)। शासन को विकेंद्रीकृत करने और दूरी के बोझ को कम करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए, मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत बिस्व सरमा ने आज जालुकबारी में आयोजित एक समारोह में जालुकबारी के लिए नए सह-जिला (सम जिला) मुख्यालय का औपचारिक उद्घाटन किया।
उल्लेखनीय है कि आवश्यक सरकारी सेवाओं तक समय पर पहुंच और जमीनी स्तर पर शासन लाकर नागरिक केंद्रित सेवाओं को सुव्यवस्थित करने के लिए जिला स्तर से नीचे छोटी प्रशासनिक इकाइयां बनाने के लिए मुख्यमंत्री डॉ. सरमा के नेतृत्व में राज्य सरकार ने पहले चरण में 39 सह-जिलों की शुरुआत की है। इसके एक हिस्से के रूप में मुख्यमंत्री ने आज औपचारिक रूप से जालुकबारी सह-जिला का उद्घाटन किया और सह-जिला आयुक्त कार्यालय को लोगों की सेवा में समर्पित किया।
इस अवसर पर अपने संबोधन में मुख्यमंत्री ने कहा कि असम के प्रशासनिक इतिहास में 4 और 5 अक्टूबर को एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर माना जाएगा, क्योंकि 39 सह-जिलों के उद्घाटन से सभी प्रमुख सेवाएं लोगों के दरवाज़े पर पहुंच जाएंगी। उन्होंने कहा, “विधायक के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान, मैंने देखा है कि कई निवासियों को जिला मुख्यालय में बुनियादी सेवाओं तक पहुंचने के लिए लंबी दूरी तय करनी पड़ती है। यह वास्तव में एक चुनौती थी, जिसका लोगों ने सामना किया, जिसने नए जिलों की मांग को बढ़ावा दिया।
उन्होंने कहा, “सह-जिला मुख्यालयों के शुभारंभ के साथ, हमने स्थानीय शासन को विकेंद्रीकृत करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। मेरा मानना है कि यह पहल दूरी के बोझ को खत्म करेगी और आवश्यक सेवाओं को लोगों के करीब लाएगी।”
मुख्यमंत्री ने कहा कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के सत्ता के विकेंद्रीकरण के आदर्शों और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के जमीनी स्तर पर प्रभावी शासन के दृष्टिकोण को आगे बढ़ाते हुए, असम सह-जिलों को शुरू करने और संचालित करने वाला देश का पहला राज्य बन गया है, जो जिले की लक्षित प्रशासनिक इकाइयां होंगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि परिसीमन की प्रक्रिया के बाद राज्य के सभी 126 विधानसभा क्षेत्रों में समान और सक्षम प्रशासनिक बुनियादी ढांचे के निर्माण की आवश्यकता महसूस की गई। निकटतम् रिश्तेदार प्रमाण पत्र, जाति प्रमाण पत्र, पीआरसी, भूमि संबंधी मामले आदि जैसे कार्यों के लिए जिला आयुक्तों के कार्यालय में जाना और समय व्यतीत करना लोगों के लिए बहुत कष्टकारी होता है। इसके अलावा, जिला आयुक्त भी ऐसे कार्यों में व्यस्त रहते हैं, जो समय डीसी जिले के विकास कार्यों के लिए खर्च कर सकते हैं। डॉ. सरमा ने कहा कि विधानसभा क्षेत्र के आधार पर सह-जिला बनाने जैसे कदमों से जिले के लोगों का कीमती समय बचेगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हालांकि लोगों ने उप-विभागों की मांग की है, लेकिन इन प्रशासनिक इकाइयों में बहुत अधिक शक्ति निहित नहीं है। जबकि, सह-जिलों को अधिक शक्तियां प्रदान की गई हैं, जिससे वे लोगों की बुनियादी ज़रूरतों को पूरा करने के लिए अधिक सशक्त बन सकेंगे। ये 39 सह-जिले नागरिक केंद्रित सेवाओं को सुव्यवस्थित करेंगे, क्योंकि उनका संचालन एक निर्धारित भौगोलिक क्षेत्र पर केंद्रित होगा।
डॉ. सरमा ने उम्मीद जताई कि सह-जिला जिले के समग्र विकास की संभावनाओं को बेहतर बनाने के लिए लक्षित क्षेत्रों में एकजुट होकर काम करेंगे। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने डीसी के साथ अपनी नियमित समीक्षा बैठकों में असम के विकास में जिला आधारित विकास मॉडल के महत्व को रेखांकित किया है और सह-जिला इस दृष्टि को प्राप्त करने के लिए एक महत्वपूर्ण घटक बन जाएगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि पिछले दो दिनों में उनके सहित मंत्रिपरिषद के सदस्यों ने सह-जिलों के कार्यालयों को लोगों की सेवा के लिए समर्पित किया है। डॉ. सरमा ने कहा कि यह एक बड़ा प्रशासनिक सुधार है और असम के लोगों के लिए ‘जीवन की सुगमता’ सुनिश्चित करने के लिए वर्तमान राज्य सरकार के प्रयासों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
सह-जिलों के पास भूमि राजस्व, प्रशासनिक और मजिस्ट्रेटी शक्तियां, खाद्य और नागरिक आपूर्ति, आबकारी, आपदा प्रबंधन, लोगों के विकास और कल्याण कार्यों जैसी सेवाओं पर अधिकार क्षेत्र होगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि इस केंद्रित दृष्टिकोण से लोगों की सुविधा और राज्य के विकास के लिए सेवा वितरण में दक्षता सुनिश्चित होगी।
मुख्यमंत्री ने सह-जिला मुख्यालय का उद्घाटन करते हुए जालुकबाड़ी सह-जिला मुख्यालय के परिसर में ‘बकुल’ का पौधा भी लगाया। इस अवसर पर गुवाहाटी की सांसद बिजुली कलिता मेधी, जीएमसी के मेयर मृगेन शरणिया और कई अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।