नई दिल्ली, 4 अक्टूबर (हि.स.)। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) बिलासपुर में अत्याधुनिक रीनल ट्रांसप्लांट आईसीयू की शुरुआत हो गई है। अस्पताल में पहला सफल रीनल ट्रांसप्लांट ( गुर्दा प्रत्यारोपण ) किया गया। शुक्रवार को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जगत प्रकाश नड्डा ने बिलासपुर के अपने दौरे के दौरान अस्पताल में पहले गुर्दा प्रत्यारोपण प्राप्तकर्ता औऱ किडनी दाता से बातचीत की और उनके स्वास्थ्य के बारे में जाना। दोनों अब स्वस्थ हैं।
इस मौके पर जे पी नड्डा ने कहा कि एम्स बिलासपुर में रीनल ट्रांसप्लांट सेवाओं की शुरुआत संस्थान के इतिहास में एक उल्लेखनीय मील का पत्थर है । यह हिमाचल प्रदेश में लंबे समय से चली आ रही ट्रांसप्लांट सेवाओं की कमी को भर देगी। उन्होंने कहा कि “गुर्दा प्रत्यारोपण की आवश्यकता वाले लोगों के लिए राज्य के अंदर उपलब्ध इस सुविधा को और मजबूत करने के लिए 2 करोड़ रुपये का प्रारंभिक अनुदान स्वीकृत किया गया है। इससे गरीब और जरूरतमंद मरीजों को काफी मदद मिलेगी। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि यह सुविधा पीएमजेएवाई और हिमकेयर स्वास्थ्य बीमा योजनाओं के तहत भी उपलब्ध है। एम्स निकट भविष्य में मल्टीऑर्गन और अस्थि मज्जा प्रत्यारोपण सेवाओं की स्थापना के लिए उत्प्रेरक के रूप में कार्य करेगी। अंग दान के बारे में जागरूकता बढ़ाने के अलावा, इससे हर साल 50-100 रोगियों को सहायता मिलने की उम्मीद है।
इस मौके पर उन्होंने घोषणा की कि 25 करोड़ रुपये की लागत से 250 बिस्तरों वाले विश्राम सदन के निर्माण पर काम जल्द ही शुरू होगा। स्वास्थ्य मंत्री ने एम्स बिलासपुर में क्षेत्रीय वायरल अनुसंधान और निदान प्रयोगशाला स्थापित करने की भी घोषणा की । केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने संस्थान के कामकाज की समीक्षा और महत्वपूर्ण स्वास्थ्य देखभाल पहलों के कार्यान्वयन का मूल्यांकन करने के लिए एक उच्च स्तरीय बैठक की भी अध्यक्षता की। समीक्षा बैठक के दौरान अनुराग ठाकुर, सांसद (लोकसभा), जयराम ठाकुर (पूर्व मुख्यमंत्री और विपक्ष के नेता) और एम्स बिलासपुर के अधिकारी भी उपस्थित थे। बैठक में हिमाचल प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार के लिए संस्थान की उपलब्धियों, वर्तमान परियोजनाओं और भविष्य के लक्ष्यों पर चर्चा की गई।