मिडिल ईस्ट के तनाव से कच्चे तेल की कीमत में लगी आग, 3 दिन में 5 प्रतिशत से ज्यादा की तेजी

– एक्सपर्ट्स ने कच्चे तेल की कीमत 100 डॉलर तक पहुंचने की आशंका जताई

नई दिल्ली, 3 अक्टूबर (हि.स.)। इजरायल और ईरान के बीच बढ़े तनाव की वजह से दुनिया भर के शेयर बाजारों पर तो असर पड़ा ही है, ऑयल मार्केट में भी इसके कारण उबाल आ गया है। सिर्फ तीन दिन में ही क्रूड ऑयल (कच्चा तेल) की कीमत में 5 प्रतिशत से अधिक की तेजी आ गई है, जिसके कारण ब्रेंट क्रूड 75 प्रति डॉलर बैरल के करीब पहुंच गया है। इसी तरह डब्लूटीआई क्रूड भी 71 डॉलर प्रति बैरल के स्तर को पार करके कारोबार कर रहा है। एमसीएक्स पर भी कच्चा तेल आज 6 हजार रुपये के स्तर के करीब पहुंच कर कारोबार करता रहा। माना जा रहा है कि अगर मिडिल ईस्ट के तनाव में जल्दी ही कमी नहीं आई, तो क्रूड ऑयल के भाव में जोरदार उछाल आ सकता है। कुछ एक्सपर्ट्स क्रूड की कीमत के 100 डॉलर प्रति बैरल के स्तर तक पहुंचने की आशंका भी जता रहे हैं।

मिडिल ईस्ट से क्रूड ऑयल की सप्लाई बाधित होने की आशंका के कारण अक्टूबर के पहले तीन दिनों में ही कच्चे तेल की कीमत में जोरदार इजाफा हुआ है। एक अक्टूबर को ब्रांड क्रूड 69.92 प्रति बैरल के निचले स्तर तक गिरने के बाद 71.82 डॉलर प्रति बैरल के स्तर पर बंद हुआ था, जबकि 3 अक्टूबर को इसका भाव 74.84 डॉलर प्रति बैरल के उच्च स्तर पर पहुंच गया। इसी तरह डब्लूटीआई क्रूड भी एक अक्टूबर को 66.33 डॉलर प्रति बैरल के स्तर पर था, जो आज बढ़कर 71.08 डॉलर प्रति बैरल के स्तर पर पहुंच गया है।

इंटरनेशनल मार्केट में कच्चे तेल की कीमत में आई तेजी के कारण मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (एमसीएक्स) पर भी कच्चा तेल छलांग लगाता हुआ नजर आ रहा है‌। एमसीएक्स पर एक अक्टूबर को कच्चे तेल का भाव 5,577 रुपये के स्तर पर था, जबकि आज कच्चे तेल की कीमत उछल कर 5,982 रुपये के स्तर पर आ गई है।

कमोडिटी मार्केट एक्सपर्ट्स का कहना है कि ईरान द्वारा इजरायल पर ताबड़तोड़ मिसाइल हमला करने के बाद तनाव अपने चरम पर पहुंच गया है। अगर इजरायल की ओर से इसी अंदाज में जवाबी कार्रवाई की जाती है, तो बाजार में क्रूड की सप्लाई पर काफी ज्यादा असर पड़ सकता है। ऑयल मार्केटिंग एक्सपर्ट रविंद्र जुनेजा का कहना है कि अगर ईरान पर हमला हुआ तो कच्चे तेल के उत्पादन में भी कमी आएगी। इसके साथ ही मध्य पूर्व के अन्य देशों से होने वाली कच्चे तेल की सप्लाई पर भी असर पड़ेगा। कच्चे तेल के उत्पादन को लेकर भी तेल उत्पादक देशों के संगठन ओपेक प्लस में गतिरोध की स्थिति बनी हुई है। सऊदी अरब ने कच्चे तेल का उत्पादन बढ़ाने का ऐलान किया है। वहीं कई देश कच्चे तेल के उत्पादन को सीमित रखना चाहते हैं, ताकि कच्चे तेल की कीमत में पिछले कुछ समय से जारी गिरावट पर रोक लगाई जा सके।

कमोडिटी मार्केट एक्सपर्ट यशवंत लोहार का कहना है कि अगर जियो-पोलिटिकल टेंशन में और बढ़ोतरी हुई तो कच्चे तेल की कीमत एक बार फिर रफ्तार पकड़ कर 100 डॉलर प्रति बैरल की ऊंचाई तक जा सकती है। हालांकि जिस तरह से इस तनाव को कम करने के लिए वैश्विक स्तर पर कोशिश की जा रही है, उससे हालात में सुधार होने का भी अनुमान लगाया जा रहा है। इसके बावजूद मार्केट एक्सपर्ट्स का कहना है कि जब तक ईरान या इजरायल की ओर से स्पष्ट रूप से जंग रोकने या जंग तेज करने के बारे में कोई ऐलान नहीं किया जाता तब तक वेट एंड वॉच के तरीके को ही अपनाया जाना चाहिए।

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