रेल मंत्री ने बंगाल में किया रेलवे की कई परियोजनाओं का उद्घाटन

कहा – राज्य में 60 हजार करोड़ के निवेश की संभावना

कोलकाता, 02 अक्टूबर (हि.स.) । रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बुधवार को पश्चिम बंगाल में रेलवे की कई परियोजनाओं का उद्घाटन किया। सियालदह स्टेशन के एक्सटेंडेड एरिया का उद्घाटन करते हुए उन्होंने राज्य में रेलवे के विभिन्न परियोजनाओं के तहत 60 हजार करोड़ के निवेश की घोषणा की।

इस अवसर पर उन्होंने बताया कि राज्य में 61 परियोजनाएं लंबित हैं, जिनके लिए ज़मीन हस्तांतरण का मुद्दा आड़े आ रहा है। उन्होंने पश्चिम बंगाल सरकार पर राजनीतिक क्षेत्र में लोगों के लिए सुगम होने वाली इन परियोजनाओं को रोक कर रखने का आरोप लगाया। रेल मंत्री ने इन परियोजनाओं को पूरा करने के लिए तृणमूल सरकार से राजनीति से ऊपर उठने की अपील की।

वैष्णव ने कहा, “पश्चिम बंगाल में रेलवे द्वारा 60 हजार करोड़ का निवेश संभव है लेकिन इसके लिए राज्य सरकार का सहयोग आवश्यक है।”

उन्होंने यह भी कहा कि 26 किमी की मेट्रो रेल परियोजनाओं में ज़मीन से संबंधित मुद्दों के कारण काम आगे नहीं बढ़ पा रहा है। उन्होंने ब्रेथवेट एंड कंपनी लिमिटेड में स्वच्छ भारत कार्यक्रम के बाद संवाददाताओं से बात करते हुए कहा, “जनता की भलाई को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।”

ममता बनर्जी से राजनीति से ऊपर उठने की अपील

वैष्णव ने कहा, “विकास समय की मांग है। रेलवे परियोजनाओं को लेकर राजनीति नहीं होनी चाहिए। राज्य सरकार के समर्थन से इन 61 लंबित परियोजनाओं को जल्द पूरा किया जा सकता है।”

रेल मंत्री ने इस दौरान कोलकाता मेट्रो नेटवर्क के विस्तार की भी सराहना की, जो 2014 में 28 किमी से बढ़कर अब 38 किमी हो गया है। साथ ही उन्होंने बताया कि बंगाल में रेलवे के विकास के लिए आवंटन तीन गुना बढ़ाकर 13 हजार 941 करोड़ कर दिया गया है जबकि पहले यह औसतन चार हजार 380 करोड़ था।

रेल सुरक्षा और ‘कवच’ की उपलब्धियां

रेल दुर्घटनाओं को लेकर वैष्णव ने कहा कि सुरक्षा में महत्वपूर्ण सुधार किए गए हैं। उन्होंने कहा, “कवच 4.2 प्रणाली का विकास पूरा हो चुका है, जो रेलवे सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है। इसे कोटा और सवाई माधोपुर में लागू किया गया है, जिसमें 2,000 किमी रेलवे ट्रैक और 900 इंजन शामिल हैं। इससे सुरक्षा के उच्चतम मानक सुनिश्चित किए गए हैं।”

उन्होंने बताया कि 10 साल पहले हर साल औसतन 171 दुर्घटनाएं होती थीं, जो अब घटकर 40 रह गई हैं। यूपीए सरकार के समय सालाना पटरी से उतरने की औसतन 450-500 घटनाएं होती थीं, जो अब घटकर 80 रह गई हैं।

रेल मंत्री ने कहा कि इस उल्लेखनीय कमी का श्रेय तकनीकी प्रगति, बेहतर रखरखाव, और रेलवे कर्मचारियों के उन्नत प्रशिक्षण को दिया गया है।

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