नई दिल्ली, 1 अक्टूबर (हि.स.)। मोदी सरकार ने स्वास्थय के मामले में लोगों को बड़ी राहत दी है। इससे आम जनता को जहां बेहतर स्वास्थय सुविधाएं मिली हैं वहीं इलाज पर उनकी जेब पर पड़ने वाला बोझ भी कम हुआ है। ताजा आंकड़ों के अनुसार केंद्र सरकार के स्वास्थ्य सुविधाओं पर खर्च में पिछले दस सालों में तीन गुना बढ़ोतरी हुई है। वहीं लोगों के जेब से होने वाले खर्च में काफी कमी आई है।
मंगलवार को स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि पिछले दस सालों में देश के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है कि स्वास्थ्य पर सरकारी खर्च तीन गुना बढ़ा है जबकि लोगों के जेब से होने वाले खर्च में लगभग 50 प्रतिशत की कमी आई है। मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार साल 2014-15 से 2021-22 के बीच, सरकार के प्रति व्यक्ति स्वास्थ्य देखभाल पर खर्च 1,108 रुपये से तीन गुना बढ़कर 3,169 रुपये हो गया है। कुल स्वास्थ्य व्यय में सरकारी हिस्सेदारी 29.0 प्रतिशत से बढ़कर 48.0 प्रतिशत हो गई।
वहीं, स्वास्थ्य देखभाल पर लोगों द्वारा किए जाने वाले खर्च में कमी आई है। यह पिछले पांच वर्षों में 48.8 प्रतिशत से घटकर 39.4 प्रतिशत हो गया है। साल 2013-14 में कुल स्वास्थ्य व्यय में निजी खर्च 64.2 प्रतिशत था, जो साल 2021-22 में घटकर 39.4 प्रतिशत हो गया है।
उल्लेखनीय यह भी है कि केन्द्र में मोदी सरकार के आगमन के बाद देश भर में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के नए केन्द्र खोले गए हैं और मेडिकल
कॉलेज की संख्या में बहुत बढ़ोत्तरी हुई है और मेडिकल की सीट्स भी बढ़ी हैं। दूसरी तरफ देश के 10 करोड़ से अधिक लोगों को आयुष्मान भारत योजना का लाभ भी 2018 से मिल रहा है, जिसमें पात्र व्यक्ति को बीमार होने पर 5 लाख रुपए तक का इलाज मुफ्त मिल जाता है।