बाल संरक्षण केवल एक अवधारणा नहीं है, यह हमारा साझा कर्तव्य है: अन्नपूर्णा देवी

नई दिल्ली, 28 सितंबर (हि.स.)। केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री अन्नपूर्णा देवी ने कहा है कि दिव्यांग बच्चों के सामने आने वाली विभिन्न चुनौतियों के समाधान के लिए एक व्यापक दृष्टिकोण आवश्यक है। बाल संरक्षण केवल एक अवधारणा नहीं है, यह हमारा साझा कर्तव्य है। खासकर जब बात विकलांग बच्चों की हो। केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री अन्नपूर्णा देवी ने शनिवार को यूनिसेफ के सहयोग से भारत के सर्वोच्च न्यायालय की किशोर न्याय समिति के तत्वावधान में आयोजित परामर्श के 9वें चरण को संबोधित कर रही थी। सर्वोच्च न्यायालय में आयोजित परामर्श कार्यक्रम कानूनी संघर्ष में बच्चों (सीआईसीएल) और देखभाल एवं संरक्षण की आवश्यकता वाले बच्चों (सीएनसीपी) पर विशेष जोर देने के साथ, दिव्यांगता की अंतर्संबंधता को संबोधित करने पर केंद्रित था। परामर्श का उद्देश्य हितधारकों के बीच संवाद को बढ़ावा देना और बच्चों, विशेषकर विकलांग बच्चों की सुरक्षा और कल्याण सुनिश्चित करने के लिए कार्रवाई योग्य अंतर्दृष्टि उत्पन्न करना था।

अन्नापूर्णा देवी ने कहा कि हमारी आबादी का लगभग एक-तिहाई हिस्सा बच्चों का है, आज की सभा उनके कल्याण और सुरक्षा के प्रति भारत की दृढ़ प्रतिबद्धता की पुष्टि करती है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व के तहत, केन्द्र सरकार प्रत्येक बच्चे के लिए एक सुरक्षित और पोषणपूर्ण वातावरण बनाने के लिए समर्पित है। महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा बाल संरक्षण के लिए बढ़ा हुआ आवंटन इस प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है। अद्वितीय चुनौतियों का सामना करने वाले दिव्यांग बच्चों पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। हम यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि हर बच्चा, अपनी परिस्थितियों की परवाह किए बिना, आगे बढ़ सके और अपनी पूरी क्षमता का अहसास कर सके।

कार्यक्रम की शुरुआत सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश, डॉ. न्यायमूर्ति धनंजय वाई. चंद्रचूड़ ने उद्घाटन भाषण के साथ हुआ, जिसमें उन्होंने एक समावेशी समाज के निर्माण के महत्व पर जोर दिया, जहां हर बच्चा, अपनी क्षमताओं के बावजूद, अपनी पूरी क्षमता तक पहुंचने के लिए सशक्त हो। सर्वोच्च न्यायालय की किशोर न्याय समिति के अध्यक्ष न्यायमूर्ति बी.वी. नागरत्ना ने विकलांग बच्चों के अधिकारों की सुरक्षा के महत्व पर प्रकाश डाला और इस महत्वपूर्ण कार्य में सभी हितधारकों की सामूहिक जिम्मेदारी पर जोर दिया।

कार्यक्रम में, भारत में यूनिसेफ की देश प्रतिनिधि सिंथिया मैककैफ्रे ने अपने संबोधन में कहा कि विशेष रूप से सबसे कमजोर बच्चों के अधिकारों और कल्याण को आगे बढ़ाने के लिए यूनिसेफ की प्रतिबद्धता दोहराई। कार्यक्रम के दौरान, बच्चों के अधिकारों की सुरक्षा में चुनौतियों और सफलताओं को प्रदर्शित करने वाली एक डॉक्यूमेंट्री फिल्म दिखाई गई, जिसके बाद गहन चर्चा हुई।

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